आदिवासी जनसम्पर्क एवं जनजाग्रति यात्रा के छटे दिन पदयात्रा झिरिया से प्रारंभ होकर ग्राम डोकरीखेड़ा, डापका, कुर्सीखापा,मोहारी,हतनीखापा, चारगांव, सिटियागोहना, गोड़ीखेड़ी, पट्टन होते हुए ग्राम डूडादेह पहुंची । यहीं पदयात्रियों का रात्रि विश्राम रहा.
छटे दिन क्या रहा खास –
आदिवासी जनसम्पर्क एवं जनजाग्रति पदयात्रा में आदिवासीवीर नायको के जीवन परिचय को भी क्षेत्रवासियों को परिचय करना है नर्मदापुरम जिले के आदिवासी वीर राजा भभूतसिंह कि याद में स्मृति स्मारक निर्माण करवाने का संकल्प स्वर्गीय श्रीमती छोटीबाई स्वर्गीय मिश्रीलाल तुमराम जी स्मृति में उनकी सुपुत्री श्रीमती मंजू धुवे द्वारा लिया गया.श्रीमती मंजू धुर्वे के निर्णय सह संकल्प का समस्त जनप्रतिनिधियों, अधिकारीयों, पदयात्रियों ने स्वागत किया.
कौन थे राजा भभूतसिंह –
नर्मदापुरम के इतिहासकार डॉ विनीत साहू का कहना है कि राजा भभूतसिंह का मुख्य क्षेत्र नर्मदापुरम जिले का बोरी अभ्यारण था जिसका विस्तार छिंदवाड़ा जिले के जुन्नारदेव से भूराभगत, चौरागड़, पचमढ़ी और बागरा तक फैला हुआ था यह क्षेत्र आदिवासी गोंड राज्य देवगढ के अंतर्गत थी, इस सम्पूर्ण क्षेत्र में राजा भभूतसिँह ने अपने जीवित रहते अंग्रेजो को पचमढ़ी क्षेत्र में प्रवेश करने नहीं दिया था उनका अंग्रेजों से संघर्ष हुआ उनकी मृत्यु के विषय में दो भिन्न भिन्न विचार हैँ एक विचार यह है कि 1860 में अंग्रजो से लड़ते हुए वह वीरगति को प्राप्त हुए और दूसरा कि अंग्रजो द्वारा उन्हें गिरफ्तार किया गया और 1862 के आसपास उन्हें फांसी दी गई.नर्मदापुरम जिले के इस आदिवासी वीर महानायक के विषय में शोध जारी है.
पदयात्रा के दौरान आदिवासी प्रतिभा का किया गया सम्मान –
पदयात्रियों द्वारा नवश्री जो कि कक्षा 11 कि शा क शा पिपरिया कि आदिवासी छात्रा है जिन्हे राष्ट्रपति पुरुस्कार से सम्मानित किया जा चूका है ऐसी आदिवासी प्रतिभा का सम्मान पदयात्रियों द्वारा किया गया.
यात्रा में रास्ते ख़राब होने के कारण यात्रा दो भागों में विभाजित की गई पैदल पदयात्रा ओर पूर्व निर्धारित मार्ग से चल रही ओर एक जहां रास्ते से घूमते हुए वाहन से चल रहें
वाहनों का काफिला भी रहा आकर्षण