न खाऊंगा, न खाने दूंगा…” जैसे ”गगनभेदी नारे” दिल बहलाने के लिए अच्छे हो सकते हैं, लेकिन ऐसे नारों/वादों का अब तक जमीनी स्तर पर अमल जरा भी न हो सका… अभी एक सर्वे ने ही ”भ्रष्टाचार के खात्मे” वाली बातों को आइना दिखाया है… इस सर्वे से पता चला कि
भारत के 66 फीसदी व्यापारियों को अपना व्यापार चलाने के लिए अधिकारियों को घूस करना पड़ती है… व्यापारियों के बीच हुए इस सर्वे से यह भी पता चला कि घूस का जो नकदी लेन-देन किया जाता है उसका प्रतिश्त सबसे ज्यादा 83 फीसदी निकला,
जबकि 17 फीसदी मामलों में घूस उपहार स्वरूप अधिकारियों को भेंट की जाती है… एक मीडियाई रिपोर्ट के मुताबिक 54 फीसदी व्यापारी ऐसे सामने आए जिन्हें अधिकारियों द्वारा लगातार दबाव बनाया जाता है कि वे उनकी जेबें गरम करते रहें, अगर व्यापारी ऐसा करने में असमर्थ रहते हैं तो उनके काम अटका दिए जाते हैं
… आधे व्यापारियों ने यह भी स्वीकार किया कि उन्हें टेंडर, कागजी कार्रवाई आगे बढ़ाने से लेकर जो सरकारी काम किए उनका पेमेंट कराने के लिए भी अधिकारियों को मोटी रकम देना पड़ती ही है… इस सर्वे की मानें तो 41 फीसदी व्यापारी ऐसे भी सामने आए जिन्होंने एक काम के बदले एक से अधिक बार घूस दी
… मजे की बात यह भी है कि सिर्फ 16 फीसदी व्यापारियों ने ही इस बात पर सहमति जताई कि हमारे काम बिना घूस दिए निपट गए… घूस देने की विभागवार बात करें तो व्यापारियों को प्रॉपर्टी, स्वास्थ्य से लेकर पीएफ विभाग में सबसे अधिक घूस खिलाना पड़ी… इस सर्वे की सुखद बात सिर्फ यह सामने आई कि जिन विभागों में तकनीकी प्रयोग बढ़ा है वहां करप्शन में थोड़ी कमी देखी गई..!