अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर राष्ट्रपति पद के लिए जीत हासिल कर वाइट हाउस में अपना राज कायम कर लिया है आपको बता दे कि अमेरिका में हर चार साल में एक बार फिर से चुनावों में जीत हासिल कर अमेरिका के अगले राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं।
आपको बता दे कि यह जीत ट्रंप के लिए क्या मायने रखती है चुनाव के तौर पर यह अमेरिका के राजनीतिक इतिहास की सबसे नाटकीय वापसियों में से एक है.व्हाइट हाउस छोड़ने के चार साल बाद लाखों अमेरिकी मतदाताओं ने अपना समर्थन देकर ट्रंप की वापसी तय की है
इसका मतलब यह है कि ट्रंप ने चार साल में कुछ ऐसा तो किया होगा जिसकी वजह से वह की जनता ने ट्रंप को फिर से राष्ट्रपति के पद पर पहुंचा दिया , डोनाल्ट ट्रंप का अमेरिका में उनका चुनाव प्रचार अभियान भी ख़ुद में एक इतिहास है. इस दौरान कुछ लोगों ने दो बार डोनाल्ड ट्रंप की हत्या की कोशिश की गई।
उनके प्रमुख और शुरुआती प्रतिद्वंद्वी यानी अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन ने चुनावों के कुछ ही हफ़्ते पहले अपनी उम्मीदवारी छोड़ दी और कमला हैरिस डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार बनीं.अमेरिका के महत्वपूर्ण चुनावी राज्यों में वोटरों ने ट्रंप को वोट देने का फ़ैसला किया, जिनमें कई वोटरों के लिए अर्थव्यवस्था और प्रवासियों का मुद्दा सबसे अहम था.ट्रंप की वापसी उनकी सियासी साख में एक बड़ी गिरावट के बाद हुई है।
उन्होंने साल 2020 के चुनाव परिणामों को मानने से इनकार कर दिया था, जिसमें वो जो बाइडन से पराजित हो गए थे.उन चुनावों के नतीजों को पलटने और अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय को न छोड़ने की उनकी कोशिश का आज भी आंकलन किया जा रहा है.ट्रंप पर 6 जनवरी 2021 को कैपिटल हिल्स पर समर्थकों को कथित तौर पर हिंसा के लिए भड़काने का आरोप भी लगा.
व्यवसायिक रिकॉर्ड में हेराफेरी करने के दोषी पाए जाने और कुछ दूसरे मामलों में दोषी पाए जाने के बावजूद अमेरिका में राष्ट्रपति के पद पर बैठने वाले वो पहले व्यक्ति बन जाएंगे.यह समझ पाना मुश्किल नहीं है कि डोनाल्ड ट्रंप क्यों बड़ा ध्रुवीकरण करने वाले शख़्स हैं।
.अपने पूरे चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप ने कई बार भड़काऊ बयानबाज़ी भी की, भद्दे चुटकुले बनाए और अपने राजनीतिक विरोधियों को बदले की धमकी दी.ट्रंप ने अमेरिका और उसके हितों को अपने चुनाव प्रचार में काफ़ी महत्व दिया”अमेरिका फ़र्स्ट” इन चुनावों में ट्रंप के नारों में से एक था जो वास्तव में मतदाताओं को ज़्यादा जोड़ रहा था.पूरे देश में हर तरफ हमने लोगों को यूक्रेन के समर्थन पर अरबों डॉलर खर्च किए जाने की शिकायत करते हुए सुना. लोगों का मानना था कि अमेरिका पर पैसा खर्च करना ज़्यादा बेहतर है।
अंत में ऐसे लोग कमला हैरिस को वोट नहीं दे पाए, जिन्होंने चार साल बाइडन के साथ उपराष्ट्रपति के तौर पर काम किया है. लोगों ने सोचा कि कमला को चुनना भी वैसा ही होगा, जबकि वे बदलाव चाहते थे.यह शायद इस चुनाव की बड़ी विडंबनाओं में से एक है कि जिस उम्मीदवार ने बदलाव का सबसे ज़्यादा समर्थन किया, वह ख़ुद चार साल पहले ही सत्ता में था. हालाँकि तब और अब में कई अंतर हैं।
जब ट्रंप पहली बार साल 2016 में सत्ता में आए थे तो वो राजनीतिक तौर पर एक बाहरी व्यक्ति थे.कुछ समय के लिए ट्रंप ने ख़ुद को अनुभवी राजनीतिक सलाहकारों और अधिकारियों से घेरे रखा, जिन्होंने उनके काम पर लगाम लगाई. अब ट्रंप की खेल के नियमों के अनुसार खेलने में कोई दिलचस्पी नहीं रह गई है.इनमें से कई सलाहकारों और स्टाफ ने ट्रंप को “झूठा”, “फासीवादी” और “अयोग्य” कहा है।
उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर ट्रंप ख़ुद को वफादारों से घेर लेते हैं, जैसी उम्मीद उनसे की जाती है, तो ट्रंप को उनके ज़्यादा उग्र विचारों से रोकने वाला कोई नहीं होगा.जब उन्होंने पद छोड़ा तो उन्हें कैपिटल हिल्स दंगों में उनकी भूमिका, राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित दस्तावेजों को संभालने के तरीके और एक पोर्न स्टार को चुपचाप पैसे के भुगतान से संबंधित कई आपराधिक आरोपों का सामना करना पड़ा.लेकिन चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा कि राष्ट्रपति को कार्यालय में रहते हुए किसी आधिकारिक काम के लिए उन्हें अभियोजन से पूरी छूट हासिल है।
इसलिए किसी भी अभियोजक के लिए अगले शासन के दौरान उन पर आरोप लगाना एक मुश्किल लड़ाई होगी.अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में, ट्रंप अपने न्याय विभाग को 6 जनवरी 2021 के दंगों से संबंधित अपने ख़िलाफ़ संघीय आरोपों को हटाने का निर्देश दे सकते हैं ताकि उन्हें जेल की सज़ा की फ़िक्र न हो.साथ ही वो कैपिटल हिल्स दंगों में भाग लेने के लिए जेल की सज़ा पाए सैकड़ों लोगों को माफ़ भी कर सकते हैं.