उज्जैन विरेन्द्र सिसौदियाकबीर मिशन समाचार पत्र
यह घड़ी 24 घंटे नहीं बल्कि 30 घंटे बताती है, पंचांग की तरह भी काम करती है
वैदिक घड़ी उज्जैन में ही क्यों?
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर हैं. उज्जैन हमेशा से काल गणना का केंद्र रहा है. यहां से कर्क रेखा गुजरती है और मंगलग्रह का जन्म स्थान भी इसे ही माना जाता है. साथ ही यहीं से विक्रम संवत की शुरुआत भी हुई. सनातन धर्म में तारीख और दिन की गणना विक्रम संवत के आधार पर होती है. इसलिए दुनिया की पहली वैदिक घड़ी विक्रम संवत शुरू करने वाले राजा विक्रमादित्य की नगरी उज्जैन में बनाई गयी
वैदिक घड़ी एक सूर्य उदय से दूसरे सूर्य उदय के बीच 30 घंटे का समय दिखाएगी. साथ ही इसमें भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के आधार पर 60 मिनट नहीं बल्कि 48 मिनट का एक घंटा तय किया गया है. वैदिक घड़ी में भारतीय कालगणना वैदिक समय, इंडियन स्टैंडर्ड टाइम और ग्रीमवीच मीन टाइन के साथ भारतीय कालगणना वाले विक्रम संवत पंचांग, 30 मुहूर्त, योग, भद्रा, चंद्रमा की स्थिति, नक्षत्र, चौघड़िया, सूर्य उदय, सूर्यास्त, सूर्य ग्रहण, चंद्रग्रहण इत्यादि की जानकारी ली जा सकेगी।