सीता साहू जिसने अपनी रफ्तार से दुनिया को चौंकाते हुए भारत को कांस्य पदक दिलाया. . वह आज समोसे बेचकर अपनी जिंदगी गुजार रही हैं।
कबीर मिशन समाचार, प्रमोद कुमार
रीवा के धोबिया टंकी स्थित साहू मोहल्ले में रहने वाली देश की बेटी सीता साहू जिसने अपनी रफ्तार से दुनिया को चौंकाते हुए भारत को कांस्य पदक दिलाया. वह आज समोसे बेचकर अपनी जिंदगी गुजार रही हैं. मगर सरकारी वादे आज 11 साल पूरे हो जाने के बाद भी अधूरे ही रह गए. जिससे अब उसे अपनी जिंदगी गुजर बसर करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
दरअसल रीवा की बेटी ने ग्रीस के एथेंस में आयोजित प्रतियोगिता में कदमों के सहारे अपनी चमक बिखेरते हुए दुनिया को बस में कर लिया था. मगर अब वह खुद बेबस होकर समोसे बेचकर अपना और परिवार का पेट पाल रही है. रीवा के धोबिया टंकी मोहल्ले में रहने वाली सीता साहू ने वर्ष 2011 में ग्रीस के एथेंस मे दौड़ प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता था. जिसके बाद पूरी दुनिया उसकी रफ्तार की कायल हो गई थी.
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया था वादा
वहीं भारत सरकार के तत्कालीन कैबिनेट मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी उसकी तारीफ करते हुए 5 लाख रुपए की सम्मान राशि के साथ ही एक घर और दुकान देने का भरोसा दिलाया था. मगर कुछ दिन बीत गए और भारत सरकार के द्वारा दी जाने वाली 5 लाख की सम्मान राशि के अलावा रीवा की बेटी को घर और दुकान दिए जाने वाला कैबिनेट मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का वादा अधूरा रह गया. जिस पर सीता साहू ने एक ठेले से समोसे बेचने का व्यवसाय शुरू किया है.
मगर वहां भी उसे परेशानी ही उठानी पड़ी और नगर निगम की टीम ने उसके ठेले को हटाकर फिर से उसे बेसहारा कर दिया।
समोसे बेचने को मजबूर
वर्ष 2011 में देश को कांस्य पदक दिलाने वाली सीता साहू आज 11 साल बीत जाने के बाद भी अपने जीविका के लिए संघर्ष करती नजर आ रही है. घर में खुद के हाथों से समोसे बना कर अब उसे डोर टू डोर समोसे बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. वहीं इस पूरे मामले को लेकर रीवा कलेक्टर मनोज पुष्प ने कहा कि रीवा की गौरव की बात है. हम उनके प्रति संकल्पित हैं. हम उनकी हर तरह की संभव मदद करेंगे।