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लेख। सावधान। दलित-आदिवासी संगठनों सावधान

बाबा साहब अम्बेडकर, बिरसा, फुले, पेरियार की विचारधारा के अनुयायियों के लिए वर्तमान समय बहुत नाजुक समय है। साहब कांशीराम के बाद लगभग २ दशक के वैचारिक सूनेपन के बाद आज पुनः दलितों- आदिवासियों ने अपनी सामाजिक न्याय की लड़ाई को दृढ़ता से लड़ना शुरू किया है। गांव— गांव में आज जो क्रांति आई है ,उसने जातीय शोषण के खिलाफ आवाज़ बुलंद की है। बेजुबान समाज जो कभी थाने तक भी नहीं पहुंचा, आज अपने अधिकारों को समझने लगा है,शोषण के खिलाफ थाने में,कचहरी में,प्रशासन और शासन में अपनी आवाज़ उठा रहा है। रोहित वेमुला से शुरू करें तो चाहे मनीषा वाल्मीकि हो या जितेंद्र मेघवाल सबकी लड़ाई समाज ने बखूबी ढंग से लड़ी है।लेकिन इसके साथ ही कन्हैयालाल हत्याकांड को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता, जिसमें धार्मिक कट्टरपंथियों ने एक निर्दोष टेलर की निर्मम हत्या कर दी।

आज दलित समाज के लिए सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण समय है —एक तरफ जातिवादी ताकते हैं, तो दूसरी ओर देश विरोधी ताकते। अभी कुछ समय पहले बिहार पुलिस की रेड में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया।उनके पास से एक दस्तावेज मिला जिसमें 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की योजना तैयार थी और उनके इस मनसूबे में कामयाब होने के लिए वे लोग दलितों—आदिवासियों को एक मोहरे के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं।

पीएफआई जिसकी स्थापना २२नवंबर २००६ को हुई थी । इसका संगठन विस्तार देश के 23 राज्यों में है केरल और कर्नाटक में इसकी मजबूत पकड़ है। कहा जाता है कि सिमी को बैन करने के बाद ही पीएफआई की स्थापना की गई।कई बार इस पीएफआई को भी बैन करने की बाते होती रही है। एनआईए जांच में पता चला कि देश में घटित विभिन्न घटनाओं में पीएफआई का ही हाथ था। एनआईए ने 2022 टेरर फंडिंग केस,2022 फुलवारी शरीफ टेरर केस,2020 दिल्ली दंगे आदि में पीएफआई की अहम भूमिका को उजागर किया है।

अभी हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय और एनआईए ने पीएफआई के विभिन्न ठिकानों पर रेड की है,जिसके निष्कर्ष आने बाकी है।लेकिन एक बात तो स्पष्ट है कि देश की आंतरिक सुरक्षा को कुछ खतरा जरूर है। दलितों- आदिवासियों को मोहरा बनाया जा रहा हैं। इस वक्त में दलित-आदिवासी संगठनों को बहुत सचेत, बहुत सजग होने की आवश्यकता है। क्योंकि हमारी क्रांति को दबाने के भरसक प्रयास किए जाएंगे।

पीएफआई से चाहे हमारे संबंध न हो लेकिन हमारे किसी बड़े सामाजिक परिवर्तन को रोकने के लिए हमारा पीएफआई से संबंध बताने का विरोधी दल पूरा प्रयास करेंगे। इसलिए हमें हमारी फंडिंग,हमारी एक-एक गतिविधि को स्पष्ट करने की आवश्यकता है। बहुत अधिक पारदर्शिता लाना होगी।

सामाजिक परिवर्तन के रास्ते में फूक-फूक कर कदम रखना होगा।कही कोई हमारा गलत इस्तेमाल न कर लें।कही कोई हमारी सामाजिक न्याय की लड़ाई को कुचल न दें। आने वाले 10वर्ष बहुत चुनौतियों ने भरें हुए है, हमें बहुत समझदारी के साथ अपने कदम बढ़ाने होंगे।दलित-आदिवासी किसी शतरंज के प्यादे नहीं है,वे इस देश के असली शासक बनें ,इसके लिए अपने वजीर को साथ रखें। खूब सजग,खूब समर्पित होकर काम करें। हमें अपनी सामाजिक न्याय की लड़ाई के साथ-साथ देश की अखंडता और एकता के भरसक प्रयास करना है।।

जय हिंद,जय भीम,जय भारत।।~निकुंज मालवीय

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