मूलचन्द मेधोनिया पत्रकार भोपाल मोबाइल 8878054839
भोपाल। मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति – जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ के प्रदेश सम्मेलन में अपनी मांगों को लेकर सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि लम्बे समय से प्रदेश के तमाम अनुसूचित जाति और जनजाति वर्गों के लोगों द्वारा मांगों को लेकर सरकार से मांग की जाती रही है। लेकिन शासन के द्वारा अनदेखी व सामाजिक मुद्दों व मांग पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। 15 जनवरी 2023 को भोपाल के रविन्द्र भवन में आयोजित अधिवेशन में मध्यप्रदेश के अनुसूचित जाति और जनजाति वर्गों के अजाक्स संगठन ने अपनी निम्न मांगों को लेकर एक विशाल सभा एवं विशाल रैली आयोजन करने की घोषणा की है कि प्रदेश स्तरीय रैली माह फरवरी को होने वाली है।
जिसमें मुख्य रूप से मांगे है कि मध्यप्रदेश के स्पेशल कौंसिल एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्री मनोज गोरकेला द्वारा बनाये गये नवीन पदोन्नति नियम को शीघ्र लागू किया जाये। शासन के अधीनस्थ विभिन्न विभागों में अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के रिक्त बैकलॉग के पदों की पूर्ति की जाये। अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति समय पर दी जाये। मध्यप्रदेश के लोकसेवकों के हितों के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था शीघ्र लागू की जाये। आरक्षण अनुसार पी. एस. सी. पास अतिथि विद्वानों का शीघ्र नियमितीकरण किया जाये। अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति वर्ग के कल्याण हेतु विशेष घटक योजनाओं में प्रावधानित बजट की शत प्रतिशत राशि को हितग्राही मूलक मद में ही व्यय किया जाये। चिकित्सा शिक्षा विभाग में चिकित्सा महाविद्यालयों का स्वशासीकरण कर बिषयवार एवं कालेजवार एकल पोस्ट का पद समाप्त कर दिये गये है। अतः इनमें रोस्टर प्रणाली लागू इनका रोस्टर राज्य स्तर पर बनाया जाकर भर्ती की जाये। चूंकि इन पदों का वेतन भुगतान राज्य शासन द्वारा किया जाता है।
चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पद नियमित पदस्थापना के द्वारा भरे जाये। लो. स्वा. एवं परिवार कल्याण विभाग संवैधानिक अनुच्छेद 16 (4) (क एवं ख) की निर्धारित म. प्र. लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनियम 1994 में निर्धारित प्रतिशत को लागू किया जाये ताकि अनुसूचित जाति जनजाति के पद आरक्षित हो सके। वित्त विभाग द्वारा प्रकाशित मध्यप्रदेश राज्य पत्र (असाधारण) क्रमांक 569 भोपाल दिनांक 6 अक्टूबर 2018 एवं इसके आधार पर लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा प्रकाशित मध्यप्रदेश राजपत्र असाधारण क्रमांक चार 440 भोपाल दिनांक 2 अगस्त 22 में मध्यप्रदेश लोक सेवा अधिनियम 1994 तथा संशोधन अधिनियम 1994 अनुसार संशोधन करने के परिणामस्वरूप चयन कर की गई समस्त भर्तियों को शून्यकरणीय घोषित कर बनाये गये नियम को निरस्त किया जाये। अथवा इसमें संशोधन कर आरक्षण अधिनियम 1994 में निर्धारित प्रतिशत को लागू किया जाये। ताकि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के पद आरक्षित हो सके। अनुसूचित जाति जनजाति विशेष बैकलॉग भर्ती अधिनियम के तहत मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित उच्च शिक्षा विभाग के महाविद्यालयों में वर्ष 2004 से 2006 के मध्य नियुक्त 528 बैकलॉग सहायक प्राध्यापकों की परिवीक्षा अवधि समाप्त कर नियुक्ति दिनांक से 2 वर्ष पश्चात परिवीक्षा अवधि समाप्त कर वेतनमान एवं समस्त लाभ दिया जाये। जिस प्रकार पूर्व भी अनारक्षित वर्ग के प्राध्यापकों के प्रकरण में किया गया है, भेद-भाव की नीति समाप्त की जाये।
निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू किया जाये। जिन उद्योग को शासन द्वारा सब्सिडी दी जा रही है उनमें आरक्षण अधिनियम 1994 लागू किया जाये। भूमि सुधार अधिनियम लागू करते हुए जनसंख्या के आधार पर भूमि आवंटन किया जाकर भागीदारी दी जाये। सिविल जजों की भर्ती में 40/%का इंटरव्यू रखकर इंटरव्यू में पास होना अनिवार्य कर दिया गया है। जिसके कारण इंटरव्यू में भेदभाव एवं भाई भतीजावाद हो रहा है, अतः सिविल जजों की भर्ती में इंटरव्यू प्रथा को समाप्त कर लिखित परीक्षा को मान्य किया जाये। जिला न्यायालय में शासकीय अधिवक्ताओं एवं नोटरी की नियुक्तियों में आरक्षण लागू किया जाकर भागीदारी दी जाये। दिनांक 01. 07.2018 को अध्यापक संवर्ग से नवीन शैक्षणिक संवर्ग में नियुक्त कर्मचारियों की सेवा अवधि की गणना में वरिष्ठता दिनांक से मान्य की जाये। मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में मुख्य अभियंता की नियमित पदस्थापना के विरुद्ध कनिष्ठ कार्यपालन यंत्री की पदस्थापना को निरस्त कर नियमित मुख्य अभियंता की पदस्थापना की जाये। भेदभाव की अनियमित आदेश करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाये। नगर पालिका, नगर निगम, नगर पंचायतों में सफाई का काम ठेका पद्दति से बंद कर संविदा /नियमित नियुक्ति की जाकर पूर्व से कार्यरत सफाई कर्मियों को नियमित किया जाये।। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा जारी परीक्षा परिणाम दिनांक 6 दिसंबर 2022 में प्रदत्त साक्षात्कार अंकों की जांच करवाते हुए मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग, व्यापम, विभागीय परीक्षाओं सहित सभी चयन परीक्षाओं में साक्षात्कार की प्रक्रिया को समाप्त किया जाये। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति युवा संघ (नाजी) के युवाओं पर थाना जहांगीराबाद भोपाल में दर्ज प्रकरण क्रमांक 875/2016 को तत्काल वापस लिया जाये। शासकीय अनुदान प्राप्त मंदिरों /पूजा स्थलों में जहां पर अनुरक्षण, संधारण एवं निर्माण कार्यों पर शासन का पैसा खर्च होता है वहां पर आरक्षण लागू कर जनसंख्या के आधार पर अनुसूचित जाति /जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के पुजारियों की नियुक्ति की जाकर भागीदारी दी जाये। संविधान में निहित प्रावधानों के विरुद्ध बयान देने वालों, संविधान की अवमानना करने वालों तथा संविधान विरोधी प्रदर्शन करने वालों पर देशद्रोह के मुकदमे दर्ज किये जावें एवं जिस प्रकार अन्य अपराधियों की संपत्ति ध्वस्त की जाती है उसी प्रकार संविधान का विरोध करने वाले लोगों की संपत्ति को भी ध्वस्त किया जावें। अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के आवेदन को ही एफआईआर माने जावें एवं तत्परता पूर्वक समुचित कार्रवाई न करने वाले थाना प्रभारी पर अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही की जाये। शासन द्वारा ऐसा आदेश जारी किया जाये। जिससे प्रदेश के अनुसूचित जाति और जनजाति वर्गों के प्रति अत्याचारों में लगातार होने वाले वृद्धि को रोका जा सके।
उपरोक्त 24 बिन्दुओं की अनिवार्य और जनहित मांगों पर सम्मेलन में अजाक्स के प्रांतीय अध्यक्ष माननीय श्री जे. एन. कांसोटिया आई. ए. एस. वरिष्ठ अधिकारी ने विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि शासन शीघ्र उपरोक्त सभी मांगों पर विचार कर अमल लाये। तथा लागू कर उपेक्षित अनुसूचित जाति और जनजाति वर्गों सहित पिछड़ा वर्ग के लोगों की मांग पूरी करें। अजाक्स के श्री विजय शंकर श्रवण प्रांतीय प्रवक्ता मध्यप्रदेश अजाक्स, श्री गौतम पाटिल प्रांतीय महासचिव मध्यप्रदेश अजाक्स एवं श्री एस. एल. सूरवंशी प्रांतीय महासचिव प्रशासनिक मध्यप्रदेश अजाक्स ने उक्त मांगों को प्रदेश के 36%अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति वर्ग अधिकारीयों, कर्मचारियों की मूलभूत व अवश्यक मांगों पर माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा पश्चात भी सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा कोई कार्रवाई न करना अनुचित बताते हुए उक्त मांगों को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की घोषणानुरुप क्रियान्वयन कराये जाने हेतु दी गई है।