भोपाल : शुक्रवार, जुलाई 28, 2023,
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने कहा है कि हेपेटाइटिस से बचाव ही इस बीमारी का सबसे अच्छा इलाज है। हेपेटाइटिस से बचाव के लिये शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में नि:शुल्क टीकाकरण किया जाता है। मंत्री डॉ. चौधरी वर्ल्ड हेपेटाइटिस-डे पर के.एन. काटजू अस्पताल में हेपेटाइटिस-बी से सुरक्षा के लिये जागरूकता और जाँच शिविर को संबोधित कर रहे थे।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि हेपेटाइटिस-बी संक्रमित माँ से गर्भस्थ शिशु में पहुँचने की संभावना होती है। इसलिये गर्भवती महिलाओं की हेपेटाइटिस-बी की जाँच अनिवार्य रूप से की जा रही है। माँ के संक्रमित होने पर बच्चे को एच.बी. इम्यूनोग्लोबिन लगाई जाती है। स्वास्थ्य संस्थाओं में ट्रिपल टेस्टिंग शुरू की गई है। बच्चों को इस संक्रमण से बचाने के लिये जन्म के समय हेपेटाइटिस का टीका लगाया जाता है। शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में हेपेटाइटिस की जाँच और उपचार नि:शुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है।
वरिष्ठ गेस्ट्रोएण्ट्रोलॉजिस्ट एण्ड हेपेटोलॉजिस्ट डॉ. संजय कुमार और डॉ. सारांश जैन ने हेपेटाइटिस-बी के लक्षण और बचाव के उपाय सहित महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस-बी का संक्रमण, असुरक्षित इंजेक्शन, संक्रमित खून, गोदना, नाक अथवा कान को छेदने में संक्रमित सुई के इस्तेमाल आदि से फैल सकता है। हेपेटाइटिस-ए और ई का संक्रमण दूषित खाने से होता है। हेपेटाइटिस-सी का प्रसार संक्रमित रक्त से होता है।
हेपेटाइटिस-बी के मरीजों में वर्षों तक कोई लक्षण प्रगट नहीं होते। हेपेटाइटिस-बी होने पर शरीर में दर्द, पीलिया, पेट में पानी भर जाना, लीवर में दर्द होना, खून की उल्टियाँ होना, भूख न लगना, पेट में सूजन आना जैसे लक्षण हो सकते हैं। क्रॉनिक हेपेटाइटिस की स्थिति में लीवर सिरोसिस और लीवर कैंसर जैसी गंभीर समस्याएँ हो सकती हैं। कार्यक्रम में ओएसटी सेंटर से उपचारित व्यक्तियों ने अनुभव साझा किये। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि केन्द्र सरकार ने वर्ष 2018 में राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल कार्यक्रम प्रारंभ किया है। इसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक हेपेटाइटिस-सी का उन्मूलन करना है। साथ ही हेपेटाइटिस-बी और सी से संबंधित लोगों की स्वास्थ्य जटिलताओं और मृत्यु दर को कम करना है।