शरीर में कोई भी बीमारी बोलकर नहीं आती है उसी प्रकार जब भी कभी किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आता है तो वह कभी कहकर नहीं आता है वह कभी भी किसी भी व्यक्ति को कही पर भी आ सकता है। चिकित्सालय तक पहुॅचने का भी समय नहीं मिल पाता है, उस दशा में परिस्थितियां इंसान के विपरीत होती है, समय पर उपचार प्राप्त न होने के कारण व्यक्ति की जान तक चली जाती है, जबकि इंसान यदि थोड़ा सा भी जागरूक है, तो वह ऐसे समय पर उसकी जान बचा सकता है, जिसको यकायक हार्ट अटैक आया है। सी पी आर एक सुरक्षा पद्धति है, हर इंसान को इसकी जानकारी होना चाहिये।
इसका प्रशिक्षण लेना मानवता के लिये बहुत हितकर है, यदि किसी की जान बचाने में किसी का श्रेय है, वह व्यक्ति भगवान की तरह पूज्य होता है।प्रत्येक इंसान को जीवन रक्षा के प्राथमिक उपचार की जानकारी के उददेश्य से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं प्रधान जिला न्यायाधीश/ अध्यक्ष, रत्नेशचंद्र सिंह बिसेन के दिशानिर्देशानुसार एवं मुख्य आतिथ्य में तथा सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, राजगढ़ मीनल श्रीवास्तव के समन्वय से आरोग्य भारती सामाजिक संस्था, राजगढ़ के सहयोग से अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान ‘एम्स’, भोपाल के चिकित्सकों द्वारा सी.पी.आर. प्रणाली का प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
सी.पी.आर. प्रशिक्षण का शुभारंभ प्रधान जिला न्यायाधीश रत्नेशचंद्र सिंह बिसेन, मुख्य अतिथि द्वारा द्वारा मां सरस्वती की मूर्ति पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलित कर किया गया। इस अवसर पर विशेष अतिथि के तौर पर उपस्थित पुलिस अधीक्षक धर्मराज मीना सहित प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय, विशेष न्यायाधीश सहित समस्त न्यायालयों के जिला न्यायाधीश व व्यवहार न्यायाधीश, जिला विधिक सहायता अधिकारी, जिला अभिभाषक संघ, राजगढ़ के सचिव, वरिष्ठ अधिवक्ता, जिला अभियोजन अधिकारी तथा शासकीय अधिवक्ता तथा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, भोपाल, आरोग्य भारती सामाजिक संस्था, राजगढ़ एवं जिला चिकित्सालय, राजगढ़ के चिकित्सक आदि उपस्थित थे।
मुख्य अतिथि द्वारा समस्तजनों से आग्रह किया गया कि, हमारा यह दायित्व है कि, हमें अपने स्तर पर किसी जीवन में मददगार साबित होने वाली प्रणाली का अवश्य ज्ञान हो, यह मानवता के लिये अत्यधिक हितकारी कार्य होगा।सी.पी.आर. प्रशिक्षण में अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान ‘एम्स’, भोपाल से पधारे प्रशिक्षित चिकित्सकों द्वारा असमय किसी स्थान पर किसी व्यक्ति को यदि हार्ट अटैक/हदयघात/ सांस रूक जाने आदि जैसी परिस्थिति में सी.पी.आर. पद्धति को अपनाकर कैसे किसी के जीवन की रक्षा की जा सकती है, का आर्टिफिशियल बॉडी डमी पर बी.एल.एस. ‘‘बुनियादी जीवन रक्षक’’ बेस्ड प्रणाली का प्रदर्शन किया गया, जिसका डिस्प्ले कम्प्यूटर प्रोजेक्टर के माध्यम वृहद स्क्रीन पर किया गया। सी.पी.आर. पद्धति से जान बचाये जाने की संपूर्ण प्रक्रिया समझाये जाने उपरांत उपस्थितजनों को बुलवाकर उनसे स्वयं से प्रयोग भी कराया गया। उपस्थितजनों द्वारा विशेष महत्व की पूछी जाने वाली बातों का उत्तर भी दिया गया।