राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाने खींची की उम्मीदवारी प्रबल हुई
हमेशा निष्पक्ष रूप से ईमानदारी पूर्वक सादगी के साथ कांग्रेस पार्टी के विचारों को आम जनता तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं अशोक खींची
मल्हारगढ़। आरक्षित मल्हारगढ़ विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 225 वर्ष 2008 परिसीमन से आरक्षित हुई है और अभी तक विधानसभा चुनाव तीन बार हुए और लगातार तीन बार कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार पराजित हुए हैं। ऐसे में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के द्वारा बहुत ही चिंतन मनन एवं जिताऊ उम्मीदवार का सर्वे कार्य अंतिम चरण में चल रहा है। सामाजिक समीकरण के साथ जिताऊ उम्मीदवार के रूप में अशोक खींची (पूर्व जिला पंचायत सदस्य एवं महामंत्री जिला कांग्रेस कमेटी मंदसौर) लगातार 17 वर्षों से मल्हारगढ़ विधानसभा क्षेत्र में हमेशा कांग्रेस पार्टी की रिती नीति एवं विचारों को आम जनता तक पहुंचाने का कार्य सादगी के साथ कर रहे हैं।
हमेशा भाजपा की केंद्र एवं राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लेने वाले अशोक खींची, एनएसयूआई ,युवा कांग्रेस, किसान कांग्रेस एवं कांग्रेस पार्टी के अनेक पदों पर रहकर कांग्रेस पार्टी एवं जनता के हित में कार्य कर रहे हैं। वैसे कांग्रेस में मुख्य रूप से उम्मीदवारी के रूप में श्यामलाल जोकचन्द, अशोक खींची व परशुराम सिसोदिया के नाम पर जिताऊ उम्मीदवार के रूप में प्रदेश कांग्रेस कमेटी गहन मंथन कर रही है.अतीत देखे तो वर्ष 2008 एवं 2013 में श्यामलाल जोकचंद्र दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं और भाजपा नेता व वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा से चुनाव हार चुके हैं तो इसी प्रकार सन 2018 में परशुराम सिसोदिया कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और वे भी श्री देवड़ा के सामने चुनाव हारे हैं। इस बार कांग्रेस लगातार तीन बार चुनाव हारी सीटों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित कर रही है. पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह इस सीट पर सर्वे का कार्य देख रहे हैं और पूरी नजर बनाए हुए हैं।
दोनो चुनाव हारे प्रत्याशियों ने आरोप-प्रत्यारोप भी लगाए हैं.
मल्हारगढ़ विधानसभा क्षेत्र की गांव की पोलिंग से लगाकर भोपाल के गलियारों में सभी नेताओं को यह ज्ञात हुआ है। इसी को देखते हुए इस बार तीसरे विकल्प के रूप में तीसरे नए उम्मीदवार की तलाश प्रदेश कांग्रेस कमेटी सर्वे के माध्यम से कर रही है। मल्हारगढ़ विधानसभा क्षेत्र में सामाजिक समीकरण को देखते हुए यह कयास लगाये जा रहे हैं कि इस बार सँख्या में अपेक्षाकृत ज्यादा मालवीय समाज से दिग्गज नेता अशोक खींची पर पार्टी दाँव खेल कर उन्हें कांग्रेस से उम्मीदवार घोषित किया जा सकता है। वैसे भी तीन बार मल्हारगढ़ से और इससे पहले आरक्षित रही सुवासरा विधामसभा से भी कांग्रेस ने कभी भी मालवीय समाज से अपना उम्मीदवार नही बनाया है। लेकिन इस बार प्रबल संभावना दिख रही है और यही कारण है कि अशोक खींची की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है।