भोपाल। इस बार चुनाव में न मुद्दे हैं, न प्रचार प्रसार देखने को मिल रहा है। दोनों बड़ी पार्टियों में समान रूप उथल-पुथल हो रही है। कहीं पुतले जल रहें तो कहीं मारपीट तक बात पहुंच गई है। सुत्रो के अनुसार भोपल में कांग्रेस की आधा दर्जन सीटों पर उम्मीदवार बदलने की मंत्रणा पर बैठक कि सूचना मिली है। अब देखना है क्या उम्मीदवारों का परिवर्तन होगा या नहीं? वैसे अगर देखा जाए तो विरोध इतना बढ़ गया है कि परिवर्तन करना चाहिए।
यदि कार्यकर्ता ही विरोध में करेंगे तो कोई भी पार्टी का जितना मुश्किल हो जाता है। इसमें राजगढ़ जिले की सारंगपुर विधानसभा का नाम भी जुड़ा हुआ है। सारंगपुर विधानसभा में भाजपा ने विधायक कुंवर कोठार का टिकट काटकर 2008 में विधायक रहे गौतम टेटवाल को मौका दिया है और वहां भी बड़ी समीक्षा के बाद तो इसका मतलब है कि उन्हें इस बात का अहसास था। वहीं गौतम टेटवाल एक मजबूत खिलाड़ी हैं तो सारंगपुर में कांग्रेस प्रत्याशी कला महेश मालवीय कही न कही कमजोर साबित होती दिखाई दे रही है लेकिन ख़बर है टक्कर की मानी जा रही है। लोगों को कहना है इस बार महिला उम्मीदवार नहीं होना चाहिए थी।
वहीं अंदरुनी विरोध भी जारी है क्योंकि टिकट होने के बाद भी कोई उत्साह कार्यकर्ताओं में नहीं दिखा। ऐसी ही स्थिति भाजपा की अन्य विधानसभाओं में भी सोशल मीडिया पर देखने को मिली है। इस बार दोनों पार्टियों में उथल-पुथल और अंतर्विरोध चालू है। इसका सीधा फायदा अन्य पार्टियों या निर्दलीयों को हो सकता है जिसमें आम आदमी पार्टी अपने पैर पसारने को आतुर है
और वही बहुजन समाज पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का आपसी गठबंधन से लगता है कि बसपा के नेताओं ने जो कहा वहां कहीं सत्य न हो जाए कि बहुजन समाज पार्टी सरकार तो नहीं बना सकती हैं लेकिन बहुजन समाज पार्टी के बगैर कोई सरकार नहीं बनेगी। 2003 का समय में वापस आने की खबर है। खैर राजनीति है कुछ भी हो सकता है और मप्र की जनता में एक बात तो तय है कि परिवर्तन होना चाहिए चाहे प्रदेश में परिवर्तन हो या विधानसभा में अदला-बदली हो। सरकार किसी की भी बन सकती है?