उज्जैन 31 दिसम्बर। महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम-2013 द्वारा महिलाओं को कार्यस्थल पर सुगम वातावरण, सुरक्षा प्रदान करते हुए मजबूत शिकायत तंत्र प्रावधानित किया गया है। अधिनियम की धारा-4 के अन्तर्गत प्रत्येक नियोजक आंतरिक समिति का गठन करेगा। प्रत्येक कार्यालय जहां 10 से 10 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं, ऐसे कार्यालय में एक आंतरिक समिति का गठन होना अनिवार्य है। समिति के पीठासीन अधिकारी एवं सदस्यों की नियुक्ति अधिकतम तीन वर्ष के लिये होती है। तीन वर्ष पश्चात समिति का पुनर्गठन किया जाना होता है।
जिला पंचायत सीईओ श्री मृणाल मीना ने यह जानकारी देते हुए बताया कि उज्जैन जिले के प्रत्येक 10 से 10 से अधिक कर्मचारी कार्यरत शासकीय/अशासकीय कार्यालय में समिति का गठन पीठासीन अधिकारी कार्यस्थल पर कार्यरत वरिष्ठ महिला अधिकारी-कर्मचारी, वरिष्ठ महिला उपलब्ध न होने पर अन्य कार्यालय से किसी अन्य महिला को आमंत्रित किया जायेगा। कर्मचारियों में से दो सदस्य ऐसे होंगे, जो महिलाओं की समस्याओं के प्रति प्रतिबद्ध हैं अथवा जिनके पास समाज सुधार के कार्य में अनुभव या विधिक ज्ञान हो। महिलाओं की समस्याओं के प्रति प्रतिबद्ध लैंगिक उत्पीड़न सम्बन्धित मुद्दों से परिचित गैर-सरकारी संगठनों से एक सदस्य नामांकित किया जायेगा। कुल नामांकित सदस्यों में से कम से कम आधे सदस्य महिला की होगी। इसमें एक पुरूष होना अनिवार्य है।
जिला पंचायत सीईओ ने शासकीय एवं अशासकीय कार्यालय के समस्त जिला अधिकारियों/नोडल अधिकारियों/संस्था प्रमुख अपने-अपने कार्यालय एवं अधीनस्थ समस्त शासकीय/अशासकीय संस्थाओं में आंतरिक समिति का गठन करें अथवा पूर्व में गठित समितियों का तीन वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने के पश्चात नवीन समिति का गठन करें, अन्यथा इस स्थिति में कार्यालयीन समिति का सही गठन या गठन न होने पर अधिनियम की धारा-26(1) के अनुसार 50 हजार रुपये की राशि से जुर्माने से दण्डित करने की कार्यवाही की जायेगी। साथ ही कार्यालय के बाहर सूचना पट्ट प्रदर्शित करना अनिवार्य है।