बहुजन क्रान्ति के पुरोधा राष्ट्रपिता महात्मा ज्योतिबा फुले जी की 197वी जयंती के पावन अवसर पर समग्र डॉ. अम्बेडकर साहित्यिक सम्मेलन के तहत प्रबोधन कार्यक्रम डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर मेमोरियल सोसायटी द्वारा आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत में तथागत बुद्ध, महात्मा फुले और बाबासाहेब के चित्र पर माल्यार्पण किया और सामुहिक बुद्ध वंदना की गई।कार्यक्रम की अध्यक्षता स्मारक समिति के उपाध्यक्ष मा. प्रकाश वानखेड़े जीने की। स्वागत भाषण मा. शशिकांत वानखेड़े जी ने किया। विशिष्ट उदबोधन में माननीय सुदेश बागड़े जी ने ज्योतिबा फुले के जीवन पर तथागत बुद्ध के जीवन की छाया पर प्रकाश डाला।
मुख्य वक्ता माननीय संजय आवटे जी ने महात्मा ज्योतिबा फुले और बाबासाहेब के जीवन संघर्ष पर अपने प्रबोधन में बताया कि ज्योतिबा को बाबासाहेब ने अपना तीसरा गुरु मानते थे और उन्ही से प्रेरणा लेकर अपने एक ही जीवन में करोड़ों-करोड़ लोगों के नरकीय जीवन को बदलकर भारतीय संविधान के माध्यम से समता मूलक समाज की स्थापना की।बाबासाहेब ने आम को खास बनाया। अधिकार दिलाए।
उन्होंने अपने कम उम्र के जीवन में समानता, मानवता, करुणा, नैतिकता के भावों को मन मस्तिष्क में जागृत करने के लिए शिक्षा पर ज़ोर दिया।
विद्या बिना मति गईमति बिना नीति गई
नीति बिना गति गईगति बिना वित्त गया
वित्त बिना शुद्र गए और ये सारा अनर्थ अविद्या ने किया।
इसलिए फुले दंपत्ति ने महिला शिक्षा के लिए जीवन पर्यंत कार्य किया, स्कूल खोले, लोगों को शिक्षित बनाने का कार्य किया।
बहुजन महामानवों ने पीढ़ियों को शिक्षा का वो महत्वपूर्ण अस्त्र दिया है जिसके बल पर पूरे विश्व में भारत को विश्वगुरु के रूप में पहचान मिली है। तथागत बुद्ध अपनी शिक्षाओं के बल पर ही समूचे विश्व में पूजनीय है। उसी तरह बाबासाहेब ने अपनी उच्च क्षमताओं के बल पर भारत का नाम पूरे विश्व को गौरवान्वित किया। कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन प्रकाश वानखेड़े जी ने किया। संचालन राजू कुमार अंभोरे ने किया।