यह तस्वीर दतिया के ग्राम पंचायत ऊचिया की है जहां आज दिनांक तक श्मशान घाट नहीं है लोगो को मरने के बाद वर्षा में टेन्ट लगाकर अंतिम संस्कार किया जाता है विकास ग्राम पंचायत में विकास कागजो में दिखाई दे रहा है।
दतिया से विकास वर्मा की रिपोर्ट।
टीनशैड लगाकर जल रही यह चिता किसी साधारण व्यक्ति की नहीं है। ये चिता दतिया नगर पालिका के प्रसिद्ध ठेकेदार राममिलन यादव के पिता रामप्रसाद कमरिया की है। रविवार को उनका निधन हो गया। बारिश के बीच दाह संस्कार के लिए गांव में एक मुक्तिधाम तक नहीं है इसलिए राममिलन ने किराए का टेंट मंगाकर लगवाया फिर पिता की चिता सजा सके।
10 दिन बाद हम भले ही आजादी की 77वीं वर्षगांठ का जश्न मनाएं। लेकिन ये तस्वीरें जब सामने आती है तो मन विचलित होता है। विचलित इसलिए भी होता है क्योंकि जो ठेकेदार सीतासागर समेत शहर भर में करोड़ों रुपए के ठेका लेकर निर्माण कर रहा है उसके पिता को अपने ही गांव में दाह संस्कार के लिए मुक्तिधाम नहीं मिला।
मन इसलिए भी विचलित होता है, म.प्र सरकार ने शहर से लेकर गांव के अंतिम छोर तक के विकास का बीड़ा उठाया है। सांसद निधि, विधायक निधि, जिला पंचायत, जनपद और फिर ग्राम पंचायत। ये राशि आखिर कहां जा रही है। ये तस्वीर बताती है कि गांव आज भी विकास के मामले में बहुत पीछे है। जिनके कंधों पर ये काम कराने की जिम्मेदारी है वे आलीसान बंगलों में टेबिल के नीचे हाथ डालकर गेम कर रहे है।