हां आज का युवा बड़ा परेशान है।
उसकी परेशानी की ढेरों वजह है।
जिनमें से एक है अच्छी सरकारी नौकरी।
हां सरकारी नौकरी बड़ी इज़्जत और नाम है इसका।
कुछ लोग तो प्रतियोगी परीक्षाओं में पांव रखते ही पा गए, और
कुछ युवा तो इसको पाते पाते बूढ़े हो गए।
लेकीन फिर भी उन्हें ये मिली नहीं, ऐसा नहीं है की वो मेहनत नहीं करता, वो हर रोज़ उठ कर यही सोचता है कि अबकी फलानी वाली परीक्षा में सफलता मिल ही जाएगी ,
परंतु फिर किसी न्यूज़ मैं सुनाई देता है कि फला, फला परीक्षा हुई रद्द, कई कारण सामने आते है, परंतु वो फिर हार जाता है, हां वो आवाज़ भी उठा नहीं सकता क्योंकि उसे पता है की उसके देश का सरकारी तंत्र उसे कहीं का नहीं छोड़ेगा, और फिर वो अपने अगले प्रयास के लिए लग जायेगा अपने किस्मत पर डाल देगा की शायद इस बार भी किस्मत मै नहीं थी,
ये कहना उसके लिए कुछ समय के लिए आसान हो सकता हैं, मगर जब वो फिर से दिन रात मेहनत करने लगता है तो उसे हर रोज़ डर लगता हैं ,की फिर से ऐसा न हो जाए की सारी मेहनत व्यर्थ चली जाए ,और मै फिर कुछ गद्दारों के हाथों हार जाऊं ,जो चंद रुपे की खातिर लाखों विद्यार्थियों का जीवन मिट्टी में मिला देते है,
हर रोज़ पढ़ाई करता यूवा यह सोचता है की ये बन जाउंगा तो ये करूंगा वो करूंगा लेकीन उसकी बस वह कल्पना मात्र कर सकता है क्योंकी वो क्या करेगा ये तो आजकल की सरकार तय करेगी, और सरकार उसका किस प्रकार से हित चाहती है ये आज का यूवा जानता है फिर भी वो मजबूर है,
क्योंकी इतनी पढ़ाई करने के बाद वो कुछ और काम भी नहीं कर सकता, उससे मजदूरी नहीं होगी न प्राइवेट सेक्टर उसे उसकी पढ़ाई का सही दाम और इज्ज़त देगा ऐसी भी बहुत ही कम संभावना बचती है,
हां मैं युवाओं की ढेरों परेशानियों की बात कर रहा था
, हां तो अब उन युवाओं पर पढ़ाई के साथ अपने परिवार, अपने बूढ़े माता पिता और उनकी उम्मीदें भी सताने लगती है, उन्हें लगता है कि हमारी उम्र बढ़ने के साथ ही माता पिता की उम्र भी बढ़ रही है, कब वो अपने बेटे को सफ़ल होता देखेंगे, उनकी कई सारी उम्मीदें है जैसे की किसी के पास अपना खुद का छत नहीं है, तो किसी के पास अच्छी कार,बाइक नहीं, जिसे खरीदने का उनके पास एक ही तो जरिया है उनके बेटे की सरकारी नौकरी, हां वो खुद भी यह सब कुछ खरीद सकते थे, मगर उन्होंने चुना अपने बेटे का उज्जवल भविष्य, चुना कि न करे वो हमारे जैसे दहाड़ी, बस बना ले अपना भविष्य को, न काटे जीवन उस तरह जिस तरह काटा है हमने,
हां आपके जीवन मैं माता पिता ही तो है जो ये सब चाहते है बाकी दुनियां तो आपको हर मोड़ पर बेइज्जत करेगी, और करती भी है ।
साथ ही फेस करते है ,युवा रिश्तादारो के ताने की कब तक पढ़ेगा ये ,कब तक ऐसे ही पैसे भेजते रहोगे, ये पैसे आपने इसकी पढ़ाई मैं लगाने की बजाए कहीं और लगाए होते तो आज बात कुछ और होती ,
हां हां ये वही रिश्तेदार हैं ,जो आपकी सफ़लता मै सबसे आगे खड़े होंगे,
और बोलेंगे मुझे तो पहले ही पता था की उसमें जरुर कुछ बात है,
और न हो पाए वो अपनी मेहनत और लगन से भी NEET,JEE NET, UPSC,PCS जैसी परीक्षाओ में सफ़ल तो चले जाते हैं वो किसी मानसिक रोग के गर्त में या कर लेते है आत्महत्या, क्योंकी वो समाज के सवालों के जवाब नहीं दे सकते, चाहें वो खूब मेहनत करे, फिर भी समाज के लोग उसकी नहीं मानेंगे बोलेंगे, कोटा, दिल्ली रह कर सिर्फ़ मौज की पढ़ाई थोडी करता था, और इस तरह युवा मजबूर होकर गलत रास्ते अपनाते है,
फिर आता है युवा के सामने एक प्रश्न कब शादी करेगा?
हां हां शादी क्यूंकि हमारे समाज ने शादी की भी एक उम्र तय कर रखी है, यदि उस बीच आपकी किसी कारणवस शादी नहीं होती है ,तो आपको कहा जाएगा की उसकी तो उम्र ही टल गई ,अब क्या शादी करनी उसकी, साथ ही होती है किसी युवा की एक प्रेमिका, हां हां प्रेमिका जो कर रही है इंतजार अपने प्रेमी की सरकारी नौकरी का ,जिसके बाद कर सकें खुलकर बात, वो अपने पिता से और कह सके की हां उनकी सरकारी नौकरी है, हां जो आज के समाज की ,बहुत बड़ी डिमांड है, और न लगे सरकारी नौकरी तो यह समाज उसकी सच्चे प्रेम की बलि चढ़ाने मैं सेकंड भी नहीं लगने देते है,
हां तो आज का युवा ऐसी ऐसी परेशानियों से जूझ रहा है ऐसी ढेरो परेशानी है उसके जीवन मै जो वो हंस कर टाल दिया करता है
राकेश मोहन उमरचा..🖊️
दिल्ली विश्वविद्यालय (दिल्ली)