सिंगरौली, सितम्बर 04, 2024: जिले के बरगवां तहसील अन्तर्गत प्रस्तावित गोंड़बहेरा उज्जैनी कोयला खदान के लिए शुक्रवार को तलवा गांव में पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु आयोजित जनसुनवाई सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। इस कार्यक्रम में भूमिगत खदान से प्रभावित होनेवाले सभी पांच गांव के लगभग 2000 स्थानीय ग्रामीण उपस्थित थे जिन्होंने प्रोजेक्ट का खुलकर समर्थन किया। सिंगरौली जिला के अपर कलेक्टर श्री अरविन्द कुमार झा एवं मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सिंगरौली के क्षेत्रीय अधिकारी श्री संजीव मेहरा की उपस्थिति में जनसुनवाई की गई।
इसके साथ हीं कुछ ग्रामीणों ने इस प्रोजेक्ट के आसपास के गांवों के लोगों ने पर्यावरण पर होनेवाली संभावित असरों के साथ-साथ स्थानीय लोगों के सामाजिक और आर्थिक विकास के बारे में अपने विचार रखे। इस जन सुनवाई में उज्जैनी और तलवा पंचायत के सरपंच शंकर प्रसाद प्रजापति, देवरा पंचायत के सरपंच आशीष सिंह चंदेल, मझौली पंचायत के सरपंच श्यामले पनिका, पचौर के सरपंच मुन्नी लाल रावत और तीनगुड़ी की सरपंच प्रेमलता गुप्ता उपस्थित रहे । प्रशासन की तरफ से बरगवां के थाना प्रभारी शिवपूजन मिश्रा, चितरंगी के सब डिविजनल ऑफिसरऑफ पुलिस, आशीष मिश्रा उपस्थित थे। अदाणी समूह की तरफ से कई अधिकारी भी मौजूद रहे। उन्होंने परियोजना के लिए उठाये जानेवाले पर्यावरणीय उपायों में विस्तार से बताया।
गोंड़बहेरा उज्जैनी भूमिगत कोयला परियोजना, भारत सरकार के कोयला मंत्रायलय द्वारा कमर्शियल माइनिंग के तहत 2023 में स्पर्धात्मक बोली के द्वारा अदाणी समूह की कंपनी एमपी नेचुरल रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड को मिला है। यह एक भूमिगत कोयला खदान है जो जिले के पांच गांव उज्जैनी, तलवा, देवरा, मझौली और तीनगुड़ी के 1926.246 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तृत है। हालाँकि भूमिगत खदान होने के कारण गोंड़बहेरा उज्जैनी परियोजना के संचालन के लिए सिर्फ 40 हेक्टेयर जमीन की जरुरत होगी। ऊर्जा क्षेत्र की इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय निर्धारित मानकों के आधार पर वायु गुणवत्ता, जल गुणवत्ता, जल संसाधन, ध्वनि स्तर, भूमि पर्यावरण, मृदा की गुणवत्ता के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया गया और पाया कि सभी निर्धारित मानकों के सीमा के अनुरूप हैं एवं समुचित पर्यावरणीय प्रबंधन योजना का प्रावधान भी रखा गया है।
यह परियोजना 51 वर्षों तक चलेगी, जिसमें आधुनिक तकनीक से भूमिगत उत्खनन द्वारा कोयला उत्पादन किया जाना प्रस्तावित है। कोयला उत्पादन की प्रति वर्ष क्षमता 41.2 लाख टन है। इस खनन परियोजना के संचालन के दौरान पर्याप्त मात्रा में रोजगार का सृजन होगा जिसके फलस्वरूप यहाँ के लोगों के आय में वृद्धि से जीवन स्तर बेहतर होगा। इस परियोजना से मध्य प्रदेश सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी। एमपी नेचुरल रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड ने स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था के लिए विस्तार से योजना बनायी है। देवरा पंचायत के सरपंच आशीष सिंह ने बताया कि, ” अंडरग्राउंड माइनिंग से प्रदूषण नहीं के बराबर होगा इस प्रोजेक्ट के आने से स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे और सामाजिक विकास होगा। ” जबकि देवरा गांव की रहनेवाली जानकी देवी का कहना है कि, ” अदाणी फाउंडेशन द्वारा इस क्षेत्र में स्वरोजगार और महिला सशक्तिकरण के लिए कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं और इस परियोजना के आने के बाद इसे और भी गति मिलेगी जिससे स्थानीय लोग ज्यादा खुशहाल होंगे। “
भारत में अब भूमिगत खदानों से कोयला उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है ताकि पर्यावरण को कम से कम असर हो। भूमिगत खदान के आसपास शोर, हवा, जल और मिट्टी पर भी न्यूनतम असर होता है। आसपास के वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव से बचने के लिए कुछ पर्यावरणीय कारकों जैसे धूल उत्सर्जन, शोर इत्यादि को दिए गए सीमा के भीतर नियंत्रित किया जाता है। परियोजना में आवश्यक प्रदूषण नियंत्रण उपकरण जैसे जल छिड़काव, वृक्षारोपण, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण आदि नियमित रूप से लागू किए जाएंगे। क्षेत्र के पर्यावरण और सामाजिक-आर्थिक पर्यावरण पर प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त प्रदूषण नियंत्रण उपाय और पर्यावरण संरक्षण उपाय अपनाए जाएंगे। खनन पट्टा क्षेत्रों और परिवहन सड़कों के किनारे घने हरित क्षेत्रों के विकास और वृक्षारोपण, खदान और आसपास के गांवों में वर्षा जल संचयन जैसे उपायों को लागू किया जाएगा।