राजगढ़। सारंगपुर आज आपराधिक मामलों में बहुत चर्चा का विषय बना रहता है। आए दिन नए नए अपराध सामने आ रहे हैं लेकिन आप ग़लत सोच रहे हैं यहां तो केवल नाम मात्र है यदि सारंगपुर का सही तरीके से सीटी स्कैन किया जाए तो आप खुद हैरान रह जाएंगे कि आप किसी शहर में नहीं बल्कि अपराध के ऐसे शहर में आ गए हैं जहां दिखाई कुछ नहीं देता लेकिन होता सब कुछ है और वास्तविकता यहां है कि हम पत्रकार भी ज्यादा लिख नहीं सकता क्योंकि यदि पुरा सत्य लिखेंगे बोलेंगे तो यही कानून के रखवाले हमें ही आरोपी बनाकर कठघरे में खड़ा कर देंगे। अब आप खुद समझ जाएंगे कि यहां गुप्तरोग कहा से कहा तक फ़ैल चुका है।
कुछ उदाहरण पैश करता हूं जैसे कि आप लोगों ने खबरें सुनी होगी कि सारंगपुर गांजा स्मेक और कई नशीली दवाओं को बाजार बन गया है। आज कल एक ट्रेंड चल पड़ा है पैसा है तो सब कुछ है इसलिए इंसान केवल पैसे के पीछे भाग रहा है चाहे वहां कोई अपराध करके ही क्यों न कमाया जाए। दुध में मिलावट का अपराध, घी-तेल में मिलावट का अपराध, सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में कुछ देने का अपराध, अपराध से बचने के लिए दुसरे अपराध को बढ़ावा देने का अपराध (थाना क्षेत्र में), किसी कागज में नाम चढ़ाने में रिश्वत, नाम घटाने में रिश्वत, नामांतरण में रिश्वत तो सीमांकन में रिश्वत, तहसील में कुछ भी काम हो चाय पानी तो लगता ही है इसलिए तहसील कार्यालय के आसपास चाय की दुकान बहुत रहती है।
अभी कुछ दिन पहले एसडीएम और नपा सीएमओ की नोंक-झोंक आप देख चुके हैं। सट्टा बाजार तो सारंगपुर में किसी का बाप बंद नहीं करा सकता? और अब खबर उसी एसडीएम के रीडर की आ गई है रिश्वत लेते हुए। माननीय न्यायालय पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं लेकिन पहले न्यायापालिका में लोगों को न्याय के लिए मददगार साबित होती थी लेकिन जब से पैसा पैसा पैसा चलने लगा है न्यायालय में आदमी वकिलो को अपनी पुंजी और समय लगा लगा कर ….? दुकानों में भ्रष्टाचार, कृषि विभाग में तो फेरबदल में कोई ध्यान जाता ही नही है। खैर इस गुप्तरोग के वायरस भी वही लोग हैं जो सारंगपुर के बागडोर संभालने वाले लोग हैं। बाकी आप अपनी आंख कान नाक बंद करके इस अपराध के शहर सारंगपुर में आराम से जीवन यापन कर सकते हैं।
एक पत्रकार…….