उज्जैन मध्यप्रदेश

फसल कटाई उपरान्त कृषक अपने खेतों में नरवाई न जलायें, धारा-144 के अन्तर्गत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी, फसल अवशेष में आग लगाने वाले किसान के विरूद्ध दण्ड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के अन्तर्गत कार्यवाही होगी

उज्जैन 04 मार्च। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री आशीष सिंह के निर्देश पर अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी श्री संतोष टैगोर ने दण्ड प्रक्रिया संहिता-1973 की धारा-144 के तहत सम्पूर्ण उज्जैन जिले में आगामी आदेश तक नरवाई में आग लगाने पर प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है। अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी ने जिले के समस्त कृषकों को निर्देश दिये हैं कि कोई भी अपने खेतों के अवशेष (नरवाई) में आग न लगायें।

यदि कोई व्यक्ति, कृषक आदेश का उल्लंघन करेगा तो उल्लंघनकर्ता के विरूद्ध दण्ड प्रक्रिया संहिता-1973 की धारा 188 एवं अन्य लागू होने वाले प्रावधानों के तहत कार्यवाही की जायेगी। एडीएम ने उक्त अधिनियम के तहत आदेश एकपक्षीय पारित किया है। कोई भी हितबद्ध पक्ष अधिनियम के अन्तर्गत धारा-144(5) के अन्तर्गत उक्त आदेश के विरूद्ध अपनी आपत्ति या आवेदन अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी के न्यायालय में प्रस्तुत कर सकता है। आदेश जारी होने से आगामी दो माह तक की अवधि के लिये प्रभावशील रहेगा।

उल्लेखनीय है कि उज्जैन जिले में फसल कटाई का कार्य लगभग पूर्ण हो रहा है। प्राय: देखने में आया है कि फसल कटाई के बाद कृषक अपने खेतों में खड़े नरवाई (फसल अवशेष, डंठल) में खुले रूप से सुरक्षात्मक उपाय अपनाये बिना उसमें आग लगाकर खेतों की सफाई करते हैं। कृषकों द्वारा अपनाई जाने वाली इस प्रक्रिया में उड़ने वाली चिंगारी से आसपास के खेत एवं अन्य तरीकों से अग्नि की बड़ी दुर्घटना की संभावना बनी रहती है।

साथ ही नरवाई जलाने की प्रक्रिया में बड़ी मात्रा में धुंआ निकलने से पर्यावरण प्रदूषण भी बढ़ता है। इसके अलावा अग्नि दुर्घटना, पब्लिक न्यूसेंस, जनहानि, धनहानि, पशु एवं पक्षियों की हानि, मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कमी आदि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, जिससे क्षेत्र में कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित होती है और लोकशान्ति और सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो जाता है, जिसका समय रहते तुरन्त निवारण अथवा शीघ्र उपचार करना आवश्यक एवं वांछनीय है और फसल कटाई उपरान्त खेतों में नरवाई जलाने की प्रक्रिया पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक हो गया है।

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