कबीर मिशन समाचार।
धीरज नायक✍🏻
नीमच। कहा गए किसान के हित में बात करने वाले मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जिन तक नही पहुँच रही इन लाचार अन्नदाताओं की आवाज, जो दर दर भटक रहे न्याय के लिए, अब तो सुन लो इन किसानों की सरकार।
अगर किसान ना हो तो किसी को अन्न प्राप्त ना हो। और अगर किसानों को ही न्याय ना मिले तो अन्न दाता कहा जाए।
एक मामला नीमच जिले की जीरन तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम उगरान में देखने को मिला जहाँ एक किसान नवरतनदास पिता जीवनदास बैरागी जिसके द्वारा पिछले 18 वर्षों से काका गाडगील बांध के जल से किसान के खेत मे जल का भराव हो रहा है जिसके अनेकों आवेदन हर विभाग में दिए गए किंतु उसे न्याय नही मिला। यहाँ तक कि सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत दर्ज करवाई तो शिकायत बंद करवाने का दबाव अधिकारियों द्वारा बनाया जाता है। नवरतनदास बैरागी द्वारा बताया गया कि मेरे पिताजी की स्वामित्व एवं आधिपत्य की कृषि भूमि सर्वे क्रमांक 203 रकबा 1.10 हेक्टर भूमि ग्राम उगरान में स्थित है। उक्त भूमि काका गाडगील बांध के डूब क्षेत्र में होने के कारण जल भराव से फसलों को नुकसान होता है। जिसका मेरे द्वारा विगत 2006 से आवेदन देकर मांग की जा रही है कि उक्त डूब क्षेत्र का मुआवजा दिया जाए जिससे खेत पर मिट्टी डलवाकर उसे ऊँचा किया जाए। पर अभी तक सरकार ने मुझे न्याय नही दिया, और मेरे द्वारा विगत वर्षों से जितने भी कलेक्टर बदले है उन सभी को कलेक्टर कार्यालय पहुच जनसुनवाई में आवेदन दिया, जीरन तहसीलदार को आवेदन दिया यहाँ तक कि मंदसौर सिंचाई विभाग में आवेदन दिया परन्तु कोई सुनवाई नही हुई। ऐसा लगता है कि मेरे दिए आवेदन को कोई पड़ता भी नही और आपात्र में डाल दिया जाता है। सिंचाई विभाग द्वारा रकबा 0.08 हेक्टर असिंचित का ही मुआवजा दिया गया। जबकि मोके पर पूरा रकबा 1.10 हेक्टर डूबा हुआ है। मेरे द्वारा सीएम हेल्पलाइन पर शिकायतदर्ज करवाई जिसका क्र. 18819409 है। फिर भी कोई सुनवाई नही होती पिछले 18 वर्षो से कोई अधिकारी, जनप्रतिनिधि, नेता यहाँ देखने नही आए। और ना ही विधायक साहब आए।
हम किसानों की खेती ही तो एक रोजगार है। अगर ये ही नष्ट होती रहेगी तो हमारा भरण पोषण कैसे होगा। फसल नष्ट होने से हम मजदूरी कर अपना परिवार चला रहे हैं। मेरे पिता जीवनदास जी हार्ट अटैक के पेशेंट है। मेरी सरकार से यही मांग है कि जल संसाधन विभाग द्वारा सीमा से अधिक अवैध जल ना भरा जाए। ताकि मेरी भूमि में जल का भराव ना हो, या तो मुझे डूब क्षेत्र की भूमि की जगह दूसरी भूमि दी जाए ताकि में खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण कर सकू।