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अपने जीवनसाथी के प्रति वफादार रहे, विश्व एड्स दिवस पर आयोजित हुई जनजागृति रैली।

कबीर मिशन समाचार
उज्जैन। मध्यप्रदेश

प्रतिवर्ष एक दिसम्बर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। विश्व एड्स दिवस के अवसर पर जिला स्तर पर जनजागृति रैली का आयोजन किया गया। रैली को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.दीपक पिप्पल द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। रैली प्रातः 9 बजे मातृ एवं शिशु चिकित्सालय चरक भवन से प्रारंभ हुई और शहीद पार्क फ्रीगंज पर समाप्त हुई। इस अवसर पर डॉ.एस.के.सिंह जिला स्वास्थ्य अधिकारी-1, डॉ.के.सी.परमार जिला स्वास्थ्य अधिकारी-2, डॉ.रेणुका डामोर जिला क्षय अधिकारी, डॉ.एच.पी.सोनानिया प्रभारी माधव नगर, डॉ.रौनक एल्ची नोडल अधिकारी एनसीडी, डॉ.आदित्य माथुर, नर्सिंग महाविद्यालय की छात्राएं सहित विभिन्न अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।

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एड्स दिवस को आयोजित करने का उद्देश्य एच.आई.वी. रोग के प्रति पूरे विश्व में एकजुटता प्रदर्शित करना है। हमारे बीच मे वे लोग जो एच.आई.वी. से ग्रसित है। हमे उनको सहायता प्रदान करना है, जो इस बीमारी के कारण असामयिक रूप से मृत्यु को प्राप्त हुए हैं, उनको श्रृद्धांजली देना।

एच.आई.वी./एड्स क्या है

एड्स जिस वायरस के कारण होता है उसका नाम एच.आई.वी. है। यह शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को धीरे-धीरे कम करता है, जब यह क्षमता क्षीण हो जाती है तो शरीर मे विभिन्न रोगो के लक्षण प्रकट होने लगते है इस अवस्था को एड्स कहते हैं।

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एड्स रोग फैलने के कारण

असुरक्षित यौन सम्पर्क करने से किसी एच.आई.वी. ग्रसित व्यक्ति के यौन सम्पर्क मे आने वाले दूसरे स्वस्थ्य व्यक्ति को एच.आई.वी. वायरस फेलने का खतरा होता है। अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार एच.आई.वी. एड्स फैलने के सबसे प्रमुख कारण असुरक्षित यौन सम्पर्क है। संक्रमित रक्त से, कोई व्यक्ति बीमार या दुर्घटनाग्रस्त है और इलाज के दौरान उसे रक्त की आवश्यकता पड़ती है तो रक्त चढ़ाने से पहले उसकी जांच करना चाहिए। यदि एच.आई.वी. संक्रमित रक्त उस व्यक्ति को चढ़ाया जाता है तो उसे उसे भी एच.आई.वी. एड्स का संक्रमण हो सकता है।

संक्रमित सुई व सीरिंज से, यदि एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की गई सुई व सीरिंज को अन्य व्यक्ति इस्तेमाल करता है तो उसे भी एच.आई.वी. संक्रमण होने का खतरा रहता है। इसलिये हमेशा डिस्पोजेबल सुई व सीरिंज का ही उपयोग करें। एच.आई.वी. संक्रमित गर्भवती महिला से उसके होने वाले शिशु में भी एच.आई.वी. संक्रमण का खतरा रहता है।

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रोकथाम

अपने जीवनसाथी के प्रति वफादार रहे, यौन सम्पर्क से पूर्व निरोध का इस्तेमाल अवश्य करें, रक्त चढ़ाने की आवश्यकता पड़ने पर उसकी सम्पूर्ण जांच अवश्य करवा लें। हमेशा डिस्पोजेबल सुई एवं सीरिंज का उपयोग करें, शासन द्वारा एच.आई.वी. परामर्श एवं जांच केन्द्रों का संचालन एकीकृत परामर्श एवं जांच केन्द्र (आई.सी.टी.सी.) सम्पूर्ण प्रदेश में किया जा रहा है। गर्भवती महिलाओं, टीबी के रोगियों, यौन रोगियों एवं जन सामान्य को निःशुल्क परामर्श एवं जांच सेवा उपलब्ध कराई जाती है। प्रदेश के विभिन्न जिला चिकित्सालयों, चिकित्सा महाविद्यालयों तथा कुछ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में एकीकृत परामर्श जांच केन्द्र संचालित है। एच.आई.वी. पॉजिटिव एवं एड्स पीड़ितो के उपचार हेतु ए.आर.टी केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है, जहां निःशुल्क औषधी एवं उपचार उपलब्ध है।

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जनजागरूकता

हमें अपने क्षेत्र के लोगों को एच.आई.वी. एड्स के बारे जागरूक करना चाहिए। सभी गर्भवती महिलाओं, टीबी के मरीजों की एच.आई.वी. जांच अवश्य करवाना चाहिए। युवाओं को रक्तदान के लिये प्रेरित करना चाहिए। एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्तियों को छूने से उनके साथ रहने से साथ खाना खाने से, मच्छर काटने से, छिंकने या खांसने से संक्रमण नहीं फैलता है। इस लिये एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। उनके साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। वह भी हमारी ही तरह सामान्य जीवन जीने के हकदार है। हम यदि सहयोग करेंगे तो ए.आर.टी. ईलाज के सहारे वे लम्बे समय तक स्वस्थ्य जीवन जी सकते हैं।

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