हमारी संस्कृति देती है पर्यावरण संरक्षण का संस्कार : प्रो. केजी सुरेश
एमसीयू के नवीन परिसर में ‘पर्यावरण संरक्षण संगोष्ठी’ का आयोजन
भोपाल। ग्रीन रिन्यूएबल एनर्जी (हरित नवीनीकरण ऊर्जा), इकोनॉमी और इकोलॉजी दोनों के लिए लाभदायक है। भारत में सौर ऊर्जा के उत्पादन की बहुत संभावनाएं हैं। इस बात की सराहना करनी चाहिए कि भारत के प्रधानमंत्री ने कार्बन उत्सर्जन को रोकने और ग्रीन एनर्जी के उत्पादन का संकल्प लिया है। यह विचार यूनाईटेड नेशनल इन्वायरमेंटल प्रोग्राम के पूर्व कार्यकारी निदेशक, नॉर्वे के डॉ. एरिक सोलहेम ने व्यक्त किए। वे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में आयोजित पर्यावरण संरक्षण संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।
इस अवसर पर कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि भारत की संस्कृति का केंद्रीय विचार है–पर्यावरण संरक्षण। इसलिए आज आवश्यता है कि हम अपनी संस्कृति, परंपरा और मूल्यों का स्मरण करें, जो हमें पर्यावरण संरक्षण का संस्कार देते हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया के पत्रकारों को पर्यावरण संरक्षण के लिए सामूहिक रूप से कार्य करना चाहिए।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. सोलहेम ने कहा कि एक समय था जब बीजिंग दुनिया का सबसे अधिक प्रदूषित शहर था लेकिन आम नागरिकों के सहयोग से उन्होंने बीजिंग की सूरत बदल दी है। जब चीन के लोग बीजिंग में प्रदूषण को कम कर सकते हैं तब भारत के नागरिक तो यह कर ही सकते हैं। नागरिकों के सहयोग और जागरूकता के बिना पर्यावरण संरक्षण संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर भारत तेजी से आगे बढ़नेवाला राष्ट्र है।
वर्तमान समय में भारत के सामने पर्यावरण संरक्षण भी बड़ी चुनौती है। इस चुनौती को स्वीकार करके बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सबको मिलकर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने में पत्रकार और पत्रकारिता संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। जनसंचार के माध्यम पर्यावरण संरक्षण को जनांदोलन बना सकते हैं।
भारत बन सकता है सोलर पावर :
डॉ. सोलहेम ने कहा कि चीन के बाद सोलर एनर्जी के उत्पादन में भारत दूसरे स्थान पर है। वहीं, कम लागत के मामले में सौर ऊर्जा उत्पादन में भारत सबसे आगे है। भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन के प्रयास बड़े स्तर पर किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा के उत्पादन में मध्यप्रदेश के प्रयास भी उल्लेखनीय हैं। इस क्षेत्र में मध्यप्रदेश में अभी और संभावनाएं हैं। भारत की स्थिति ऐसी है कि वह वैश्विक स्तर पर सोलर पावर बन सकता है।
डॉ. सोलहेम ने कहा कि ऊर्जा के उत्पादन से बहुत प्रदूषण होता है। इसलिए हमें ऊर्जा के नवीनीकरण और पुनरुपयोग पर अधिक ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि ग्रीन एनर्जी का उपयोग करके हम पृथ्वी की सेवा करते हैं। अपने उद्बोधन में डॉ. सोलहेम ने रानी लक्ष्मीबाई और माखनलाल चतुर्वेदी को भी याद किया।
पर्यावरण संरक्षण हमारे लिए बहुत संवेदनशील मुद्दा : कुलपति प्रो. सुरेश
हमने यूं ही वसुधैव कुटुंबकम् की बात नहीं कही, बल्कि हम वर्षों से इस विचार को जी रहे हैं। हमने प्रकृति के साथ आत्मीय संबंध बनाए। इसलिए पर्यावरण संरक्षण हमारे लिए बहुत संवेदनशील मुद्दा है। राजस्थान का चिपको आंदोलन बताता है कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति हमारा किस तरह का समर्पण है। भारत के धर्मगुरु एवं धार्मिक संस्थान भी पर्यावरण संरक्षण के प्रयास करते हैं और इस पर जोर देते हैं। कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और विश्वविद्यालय की महापरिषद के अध्यक्ष मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान प्रतिदिन एक पौधा लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं।
संगोष्ठी से पूर्व परिसर में मुख्य अतिथि डॉ. एरिक सोलहेम और कुलपति प्रो. केजी सुरेश सहित अन्य अतिथियों ने पौधरोपण किया। इस अवसर पर पर्यावरण कार्यकर्ता आर. एच. लता, कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी, कंप्यूटर विभाग के अध्यक्ष प्रो. सीपी अग्रवाल, संगोष्ठी के संयोजक श्री शैलेश सिंघल एवं श्री तन्मय अग्रवाल सहित नगर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन श्री विनोद गुप्ता ने किया।
विज्ञापन एवं जनसंपर्क पर केंद्रित शोध जर्नल का विमोचन :
इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित विज्ञापन एवं जनसंपर्क पर केंद्रित शोध जर्नल के पहले अंक का विमोचन किया गया। यह भारत का पहला शोध जर्नल है जो विज्ञापन एवं जनसंपर्क पर केंद्रित है। शोध जनरल के संपादक प्रो. पवित्र श्रीवास्तव इस अवसर पर उपस्थित रहे।
पर्यावरण संरक्षण के लिए इन्हें मिले पुरस्कार :
इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए ओजस्वी पुरस्कारों की घोषणा की गई। आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर को ओजस्वी चैंपियन ऑफ ब्रदरहुड अवॉर्ड–2022 दिया गया। इस मौके पर उनका शुभकामना संदेश भी प्रसारित किया गया। इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए विविध क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान करने के लिए श्री प्रवीण गुगनानी, डॉ. मीना अग्रवाल, डॉ. एचआर नागेंद्र, श्री संजीव अग्रवाल, सुश्री नव्या सुरेश, महामंडलेश्वर डॉ. नरसिंह दास, डॉ. वीरेंद्र सिंह, गुरुनाथ डॉ. मोक्षगुंडम, प्रो. प्रशांत बरेदर और डॉ. योगेंद्र कुमार सक्सेना को ओजस्वी अवार्ड दिए गए।