राजगढ़। जिले की सारंगपुर विधानसभा 164 आरक्षित विधानसभा सीट है और इस पर भाजपा का लगातार कब्जा जमाकर रखा है। विधानसभा चुनाव 2018 को देखते हुए भाजपा भी कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है। अभी तक दोनों पार्टियों ने इस सीट पर अपने उम्मीदवार खड़े नहीं किए हैं तो वहीं अन्य छोटे दलों के उम्मीदवार सामने आ चुके हैं। इस सीट पर हमेशा भाजपा और कांग्रेस की ही टक्कर रही है। सारंगपुर विधानसभा क्षेत्र से लगातार कांग्रेस की हार होने पर पार्टी द्वारा गहरी चिंता जताई जा रही है, तो वहीं भाजपा में भी अटकलें कम नहीं है। क्या दोनों दलों को ऐसा कोई जिताऊं उम्मीदवार नज़र नहीं आ रहा है? या भाजपा कांग्रेस का प्रत्याशी घोषित करने के बाद नाम घोषित करेगी।
ख़ैर अभी तक पुर्व विधानसभा चुनाव 2018 में प्रत्याशी रहे कला महेश मालवीय जो कम मतों से हारे थे उनके पति महेश दास मालवीय का नाम बताया जा रहा है ग्राम सेवक की नोकरी छोड़ने के बाद लगातार पार्टी की गतिविधियों में शामिल रहे और अभी भी वे लगभग पैनल में ही बताएं जा रहें हैं। लेकिन बाद में सुत्रो के अनुसार पार्टी ने कई सीटों पर फेरबदल की नीति अपनाने कि खबर आ रही है। साथ ही पुर्व दिग्विजय सिंह के खास माने जाने वाले पुर्व विधायक कृष्ण मोहन मालवीय का नाम भी बड़ी तेजी से आगे निकल आ रहा है। माना जाता है कि पहले से विधायक रहे कृष्ण मोहन मालवीय को दुबारा मौका देना चाहिए लेकिन उन्हें भी पहले मौका दिया था लेकिन हार गए थे। साथ ही अब ऐसे कई नए चेहरे बचे हुए हैं जिन पर पार्टी मंथन चल रहा है। जिसमें प्रमुख नाम घनश्याम मालवीय गोपालपुरा का नाम की सुर्खियां हैं। घनश्याम मालवीय लगातार कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता माने जाते हैं। उनके द्वारा कभी भी किसी भी प्रकार का पार्टी का विरोध नहीं किया और निष्ठा से पार्टी के अनुसार पालन करते नज़र आए हैं। पिता शासकीय शिक्षक रहे और सेवानिवृत्त होने के बाद जनपद पंचायत में चुनाव में घनश्याम मालवीय के नेतृत्व में उनकी माता जी ने जपं सदस्य में जीत हासिल की है।
सारंगपुर विधानसभा में कांग्रेस के पास दो पहलू हैं पहला कि वहां लगातार प्रत्येक विधानसभा चुनाव में नया नया चेहरा उतरा है और हर नए चेहरे ने भी जीत हासिल नहीं कर पाए। वहीं पुर्व विधायक कृष्ण मोहन मालवीय को दुबारा मौका मिला लेकिन भारी मतों से हार गए। लेकिन दोनों पहलू में एक ही समस्या है वहां जनसंपर्क की और जनता तक पहुंच बनाने की कमी देखी गई है। पोलिंग बूथ पर भी काम नहीं किया गया। लेकिन यदि घनश्याम मालवीय के नाम पर कांग्रेस दांव लगाती है तो भी जीत संभावना अधिक हो जाती है उसका कारण यह है कि घनश्याम मालवीय लगातार सक्रिय रहे हैं लोगों से व्यक्तिगत संपर्क स्थापित किया है। साथी अभी पंचायत चुनाव में जनपद सदस्य बने हैं और सबसे बड़ी बात की घनश्याम मालवीय कोई नया चेहरा नहीं है बल्कि पार्टी का बहुत पुराना और जुड़ा हुआ नाम है। वहीं दलबदल की राजनीति से दूर है। पार्टी के प्रति समर्पित चेहरा है।
वहीं इनके बाद बनवारी मालवीय का नाम भी जुड़ा हुआ है जो दोनों चेहरे में एक ही समांतर है। बाकी जो भी उम्मीदवार घोषित हो यदि कांग्रेस के पदाधिकारी इन सभी नए – पुराने चेहरों को धुमिल कर केवल पार्टी को जिताना इनका लक्ष्य तय करने में सफल हो गई तो उम्मीदवार कोई भी हो निकल सकता है क्योंकि सारंगपुर विधानसभा में कांग्रेस की लगातार हार का सबसे बड़ा कारण है ” घर की फूट और जगत की लूट ” वाली बात सत्य है।