कवरेज करने गए पत्रकार के साथ की मारपीट एक्ट्रोसीटी एक्ट सहित कई धाराओं में किया प्रकरण दर्ज
कबीर मिशन समाचार पत्र
सुरेश मैहर संवाददाता गरोठ जिला मंदसौर
गरोठ। एसडीएम के आदेश पर तहसीलदार एवं टीआई द्वारा खजुरी दौड़ा मार्ग पर अवैध पटाखा गोदाम पर कार्यवाही की गई। जहां एक एक दलित पत्रकार को मीडिया कवरेज के दौरान मारपीट कर जान से मारने की धमकी एवं जाति सूचक शब्दों से अपमानित किया।
पत्रकार हरीश सांखला के साथ श्यामलाल पिता बालाराम खाती द्वारा ये हरकत की गई। हरिश नरेन्द्र सांकला निवासी खटीक मौहल्ला गरोठ ने बताया की। दिनांक 21 नवम्बर शनिवार की दोपहर करीब ढ़ाई बजे ग्राम खजुरी दौड़ा मार्ग पर ब्रजेश कारा के यहां अवैध फटाखा गोदाम पर पुलिस टीम द्वारा दबिश देने की सूचना मिलने पर खबर कवर करने के लिए पहुंचा था। जब यहां मैं फोटो और वीड़ियो ले रहा था तभी मौके पर मौजूद श्यामलाल पिता बालाराम खाती ने मुझे फोटो और वीड़ियो बनाने से रोका।
जब मैंने कहा कि आप कौन है मुझे क्यूं रोक रहे है? इतने में श्यामलाल ने जातिसूचक शब्दों से अपमानित कर कहा कि तुझे यहां किसने बुलाया है। तू बहुत पत्रकार बन रहा है, तेरी सब पत्रकारिता निकाल दूंगा। इतना बोलकर मेरे साथ मारपीट कर जान से मारने की धमकी दी। मेरे पत्रकार साथी भी वहीं थे मुझको बहुत बुरा लगा थाने में आवेदन दिया। जिस पर पुलिस ने श्यामलाल खाती के विरुद्ध एससी एसटी एक्ट (अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम) के तहत एफआईआर दर्ज किया एवं 323, 294, 506 सहित में प्रकरण दर्ज किया गया।
आए दिन मीडिया में मीडियाकर्मियों के साथ घटनाएं सामने आ रही है। शासन प्रशासन भी पत्रकार के तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है। अच्छी खबर लगाओ तो सबको अच्छा लगता है वहीं किसी के खिलाफ खबर चलती है तो सबको बुरा लगता है। फिर पत्रकार बुरा हो जाता है।
वाहवाही करो तो हम अच्छे लगते हैं। चाहे वो कोई भी हो, पुलिस, प्रशासन, नेता, अधिकारी, ठेकेदार, हो या कोई बिजनेस मैन सभी का रवैया पत्रकार के प्रति ऐसा ही देखने को मिलता है। लोकतंत्र में तीन स्तंभ संविधान के अंतर्गत है और तीनों का संतुलन बनाए रखने के लिए चौथे स्तंभ में लोक मान्यता मिली है। अब तीनों तो अपने अधिकार क्षेत्र का काम करते ही हैं। ऐसे में पत्रकार भी अपना काम करता है तो ग़लत क्या है।
यह हमारा काम है और मीडिया को कवरेज करने से रोकना कहा तक उचित है? जब किसी के साथ ग़लत होता है तो मीडिया ही सबसे पहले याद आता है और सब ठीक होने के बाद उसी ही सबसे पहले भूल जाते हैं। ख़ैर मीडिया को अपना काम करने से रोकने वालों का सही इलाज होना चाहिए। अब यह बहुत जरूरी हो गया है। मीडिया को भी एकजुटता दिखाने की जरूरत है।