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सस्ती खेती और अधिक उत्पादन तो करना होगा ये काम

खेती-बाड़ी। आज के समय में खेती को लाभ का धंधा बनाने के चक्कर में किसानों ने अपने खेत कि मिट्टी की ओर ध्यान ही नहीं दिया। अंधाधुंध रासायनिक खाद व दवाई का प्रयोग करके मिट्टी की उर्वरक क्षमता को कम कर दिया है। रासायनिक खाद से मिट्टी की नमी खत्म हो रही है। आज से करीब 20-25 साल पहले की फसलों की बात करें तो 3-4 पानी में गेहूं की फसल हो जाती थी और आज 6-7 बार पानी देना पड़ रहा है इससे अधिक पानी का खर्च हो रहा है और दुगुनी मेहनत लगन रही है। साथ ही अंधाधुंध रासायनिक दवाईयों का स्प्रे करने से मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो गई है। ज़मीन से केंचुओं का ग़ायब होना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।

इसके साथ ही मिट्टी में ऐसे अनगिनत फसलों के मित्र किट होते हैं जो उन्हें सुरक्षित रखने में मदद करते हैं वे खरपतवार नाशक और कीटनाशक दवाई का अधिक मात्रा में इस्तेमाल करने से मित्र किट खत्म हो जातें और सुक्ष्म पोषक तत्वों में लगातार कमी हो गई है। जिससे फसलों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है और फसलों में जल्दी ही कोई न कोई नई बीमारी दिखाई देने लगती है। इस पौधे की इन बीमारी को दूर करने के लिए भी हम फिर भी रासायनिक दवाईयों का ही इस्तेमाल करते हैं और नतीजा अधिक खर्च करना पड़ता है। जब तक हमें फसलों में बीमारी का पता चलता है तब तक तो उसके उत्पादन पर काफी असर हो जाता है।

जिस प्रकार से एक इंसान के शरीर को भोजन के अलावा अन्य प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स की जरूरत होती है। उस प्रकार पौधों को भी सुक्ष्म पोषक तत्वों की जरूरत होती है जो किसान इनका उपयोग नहीं करते हैं। पहले गोबर के खाद से इसकी पुर्ति हो जाती थी। साथ ही सबसे बड़ा सवाल यह है कि हम कुछ भी डालें लेकिन उत्पादन पर कोई अंतर नहीं आता है तो इसके लिए सबसे पहले मिट्टी सुधार करने की जरूरत है। जैसे कि हमारा शरीर में यदि भोजन पचाने की क्षमता नहीं है तो आप कुछ भी खिला पिला दे उसका कोई मतलब नहीं है। इसके लिए पहले पाचनतंत्र को दुरुस्त करना होगा। उसी प्रकार से किसानों को भी मिट्टी सुधार करने की जरूरत है। जब आप मिट्टी सुधार कर लेंगे तो कम खर्च में अधिक उत्पादन ले सकते हैं।

अब यह कैसे होगा।

इसके लिए किसानों को निरंतर 3-4 साल तक जैविक खेती करना होगा। जैविक कार्बनिक खाद का प्रयोग करें। साथ ही 50 प्रतिशत जैविक प्रोडक्ट और 50 प्रतिशत रासायनिक प्रोडक्ट्स का प्रयोग करें। धीरे धीरे तीन साल में आपकी मिट्टी एक दम स्वस्थ हो जाएगी और फिर कम पानी और खाद दवाई में आपकी फसल अच्छी पैदावार देंगी।

रासायनिक खेती से हमारी मिट्टी, फसल और पर्यावरण को तो नुकसान पहुंचता ही है लेकिन सबसे बड़ा असर इंसान के शरीर पर भी होता है। क्योंकि जो फसलों को हम पैदा करते हैं वहीं हम खाते हैं और उस कैमिकल का अंश हमारे शरीर में प्रवेश करके इंसान के शरीर को तरह तरह की छोटी-मोटी बीमारी को जन्म देता है और इसका हमें पता भी नहीं चलता है। कई किसान कहते हैं कि जैविक खेती महंगी है लेकिन जबकि रासायनिक खेती से जैविक खेती सस्ती होती है और जब इंसान को अस्पताल में इसका भूगतान करना पड़ेगा। आज इंसान में भी प्रजनन क्षमता कम होने का भी सबसे बड़ा कारण भी रासायनिक खेती ही है।

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