भारतीय संस्कृति और सभ्यता का इतिहास स्वर्ण अक्षरों में लिखा तो गया परंतु देखा भी जा सकता है जनजातिय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, जनजातीय संग्रहालय भोपाल जहां पर हम अपनी प्राचीन सभ्यताओं, कलाओ, पुराने(शस्त्रों) हथियारों, दैनिक जीवन में काम आने वाली समस्त वस्तुओं का अवलोकन जब करते हैं तब हम धन्य हो जाते हैं वास्तव में आप हम सब का यह दायित्व है कि हम हमारी प्राचीन से प्राचीन लोक एवं जनजातीय कलाओं, लोक मांडनों, लोक संस्कारों एवं लोक बोलियों को जिस प्रकार भारत सरकार एवं मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग का जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, जनजातीय संग्रहालय भोपाल संजोए हुए हैं
हमें भी हमारी शासन को सहयोग देना चाहिए मैं आकाशवाणी वार्ताकार कवि एवं राष्ट्रीय मालवी लोक गायक कलाकार व नवाचारी शिक्षक सत्यमंगल मांगीलाल कुलश्रेष्ठ “अमन” देश और दुनिया से यही कामना करता हूं कि हम हमारे लोक-पर्व, लोक-बोली, लोक कथाओ, लोक-त्योहारों, लोक गीत संगीत, लोक-साहित्य, लोक- नृत्य, लोक वार्ताएं इन सभी को समरसता के रूप में एक नवीन स्वर देकर एक नवीनता प्रदान कर देश और दुनिया के सामने प्रस्तुत करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी हमारी सभ्यता को भूल ना पाए हम अपने छात्र-छात्राओं को अपने परिवार देश एवं विदेश में अपनी संस्कृति सभ्यता की समृद्धशाली परंपरा को विश्व पटल पर रखकर भारत का गौरव स्थापित करें
यह आपका हमारा सबका परम दायित्व है साहित्यकार हो, नाट्यकार हो, इतिहासकार हो, कवी हो, किसान हो जिस पद पर भी हो वह अपनी-अपनी कला को बृहद रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश करें कहा भी गया है- “मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती” हमने जन्म लिया जहां का जल ग्रहण किया उसका बखान करना हमारा दायित्व है हमारी मातृभूमि का गौरवमयी इतिहास आदर्श रहा था आदर्श है और आदर्श रहेगा