लेखक संजय सोलंकी कबीर मिशन समाचार
प्रदेश प्रतिनिधि मप्र 9691163969
नमस्कार साथियों बहुत दिनों से सोच रहा था कुछ लिखूं मगर किसी कारणवश नहीं लिख पाया मगर आज समय निकालकर एक बात लिखने बैठ गया मगर जो लिखना चाह रहा था ओ इतना आसान भी नहीं था फिर सोचा अगर हमारी कलम बंद रही तो कोन लिखेगा कोन हे जो समाज के लिए आवाज उठाएगा अपनी समाज के लिए अपने समुदाय के लिए अपने उन समाज के लोगो के लिए जो कहते हैं।
हमारी समाज का सरपंच है हमारी समाज का विधायक, सासंद मंत्री और राज्यपाल है फिर भी आज तक उन लोगों का भला नहीं हो पाया इस लिए लिखने की कोशिश की है मुझे पूर्ण भरोसा ही नहीं पूर्ण विश्वास भी है
कि आप मेरी लिखी हुई लाइन को पढ़ोगे और आगे भी शेयर करोगे तो शुरू करते हैं आगे की बात – बात यह है कि आष्टा विधानसभा, देवास लोकसभा सीट, सोनकच्छ विधानसभा सीट ,आगरमालवा विधानसभा सीट तराना विधानसभा सीट,और भी कही ऐसी सीट हे जो अनुसूचित जाति sc वर्ग के लिए आरक्षित हैं यानि इन सीटों पर सिर्फ अनुसूचित जाति के लोग ही चुनाव लड़ सकते हैं
और प्रतिनिधि चुनकर विधानसभा और लोकसभा के मेंबर बनते हैं ताकि अपनी समाज अपने लोगों की बात ओर अपने समुदाय की समस्या को विधानसभा ओर लोकसभा में में रख सके ताकि उन लोगों का भला हो उन लोगो की समस्या खत्म हो जो सैकड़ों सालों से किसी न किसी तरह से पिछड़ते ओर प्रताड़ित होते हैं बात करते हैं देवास शाजापुर लोकसभा की सीट की जहां पर शाजापुर
पूर्व लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रनिर्वाचन क्षेत्र में विधानसभा क्षेत्र शुजालपुर (166) गुलाना (167) शाजापुर (168) आगर (169) सुसनेर (170) देवास (186) सोनकच्छ (187) हाटपिपलिया (188) सीट शामिल थी जिसमें आगर मालवा और सोनकच्छ विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी जिसमें 1977 में फूलचंद वर्मा सांसद बने जिसके बाद 1984 में बापूलाल मालवीय सांसद बनकर लोक सभा में गए।
जिसके बाद फिर 1989और 1991 एक बार फिर फूलचंद वर्मा ने जीत हासिल की फिर आए फिर आए थावरचंद् गहलोत जो कि sc वर्ग के बलाई समाज से आते हैं जो 2004 तक शाजापुर पर जीते और मंत्री तक बनाए गए जिसके बाद 2008 में शाजापुर लोकसभा सीट को समाप्त कर दिया गया 2009 को इस सीट को बदलकर देवास शाजापुर लोकसभा सीट कर दिया।
फिर दौर आता है कांग्रेस का 2009 तक सांसद रहे। थावरचंद गेहलोत को हराने के लिए कांग्रेस ने पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा को उतारा और ओर ए कारनामा करने में कांग्रेस सफल भी रही लेकिन लेकिन लेकिन रुको अभी तक उस समाज का दर्द बांटने के लिए कोई भी नेता ओर प्रतिनिधि आवाज नहीं उठा सका जिस समाज के वोट लेकर दूसरे लोगों की चमचागिरी करने से फुरसत नहीं मिली समाज का हमदर्द समाज की समस्या किसी ने नहीं सुनी और समाज पिछड़ता गया कोई भी नहीं बन सका न समाज के युवाओं और न किसानों को आगे बढ़ा पाया फिर चुनाव आता है।
2014 जिस चुनाव में मोदी नाम की ऐसी लहर चली की कांग्रेस के पत्ते रेत के ढेर की तरह बिखर गए और फिर देवास शाजापुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार सज्जन सिंह वर्मा को हराकर भारतीय जनता पार्टी के मनोहर ऊंटवाल सांसद चुनकर आए जो 2019 तक सांसद बनकर तो रहे।
मगर समाज की समस्या का हल नहीं निकाल पाए और sc वर्ग फिर हताश हो गया एक बार फिर चुनाव आता है 2019 और मोदी जी की आंधी फिर चली ओर पूर्ण बहुमत से दिल्ली की गद्दी पर मोदी बैठे और ओर देवास लोकसभा की गद्दी पर बैठे पूर्व न्यायाधीश ओर वर्तमान के सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार मालवा के प्रसिद्ध कबीर भजन गायक प्रल्हाद सिंह टिपानिया को हराकर मगर ए भी समाज के लिए खोटे सिक्के साबित हुये।
अब चुनाव आता है 2024 का भाईसाहब को फिर टिकिट दिया जाता है और जीत जाते हैं और कांग्रेस के उम्मीदवार राजेंद्र राधाकिशन मालवीय को हराया मगर अभी तक समाज इनकी तरफ आस लगाकर देख रहा है कि कही हमारे वर्ग हमारी समाज हमारे युवा जो आज नौकरी के चक्कर में दर दर की ठोकर खा रहे हैं मगर कुंभकरण की नींद सोए सांसद महोदय अभी तक अपनी समाज के लिए नहीं जागे आष्टा विधानसभा का क्या है जातीय गणित?:
यहां कुल 2 लाख 48 हजार 274 मतदाता हैं. इनमें से करीब 1 लाख के लगभग जनसंख्या अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वोटर्स की है. जिसमें से लगभग 60 हजार वोटर्स अकेले बलाई समाज के सबसे ज्यादा हैं।
इन सबके बावजूद रिजर्व सीट में भी बलाई समाज का वर्चस्व रहा है. इसी वर्ग से लोग अधिकतर विधायक बनते आए हैं. कुल 12 विधायक में से 8 इसी बलाई समाज वर्ग से रहे हैं. पहली बार 1993 में बलाई समाज के रणजीत सिंह गुणवान विधायक चुनकर आए और 2003 तक विधायक रहे फिर 2003 में रणजीत सिंह गुणवान का टिकिट काटकर रघुनाथ सिंह मालवीय को टिकिट दिया और जीतकर आए 2008 से 2018 तक लगातार रणजीत सिंह गुणवान को विधायक बनाया गया।
फिर भी समाज का भला नहीं कर पाए फिर समाज के हाथ निराशा हाथ लगी और समाज के बेरोजगार युवा हताश हो गए 2018 में पूर्व विधायक रघुनाथ सिंह मालवीय को समाज ने चुना और विधायक बने मगर मालवा में एक कहावत है भरोसे की भेज पाढ़ा ब्याहयी और समाज के लिए काम किया जीरो फिर चुनाव आता है।
2023 का ओर विधायक रघुनाथ सिंह मालवीय का टिकट काटकर जिला पंचायत अध्यक्ष गोपाल इंजीनियर को दिया गया और गोपाल सिंह सीनियर जीत कारण मगर अभी तक गोपाल सिंह इंजीनियर ने ऐसा कोई भी काम समाज एवं एससी वर्ग के लिए नहीं किया जिससे कहा जाए भविष्य में कोई अच्छा काम गोपाल सिंह इंजीनियर कर पाएंगे समाज की हालत बहुत खराब है।
मगर जिस समाज के बीच से निकाल कर गए नेता और जनप्रतिनिधि ने आज तक उस समाज का हाल-चाल नहीं जाना आखिर क्यों इन लोगों को दूसरे की गोद में बैठना अच्छा लगता है और हमारे समाज के लिए कार्य करना नापसंद लगता है आखिर क्यों आज भी sc वर्ग खासकर बलाई समाज के युवा बेरोजगार हैं नौकरी के लिए कोई भी ऐसा कारखाना नहीं ऐसी कोई फैक्ट्री नहीं ऐसा कोई कार्य नहीं जिसमें इन नेताओं ओर प्रतिनिधियों ने समाज के लिए किया है
लानत है इन नेताओं के लिए मान्यवर साहब कांशीराम जी ने कहा कि ये दलित लीडर केवल अपने निजी फायदे के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस जैसे दलों के साथ मिलकर राजनीति करते हैं. लेकि देश आजाद हुए 75 साल से ज्यादा हो गए हैं मगर आज भी हमारी समाज जनप्रतिनिधि आज दूसरे के चमचे बने बैठे हैं।