मणिपुर घटना,,रीवा सतना,,सीधी धार,,,राजगढ़,,नीमच,,,या अन्य राज्यो की आदिवासी युवाओं महिलाओं लड़कियों के साथ घटनाएं, हम ये नही कह रहे है कि घटनाएं आदिवासियों के साथ ही हो रही है क्योंकि हैवानियत की कोई जाति नही होती, परन्तु कुछ सालों से प्रायः देखने मे आ रहा है कि ये घटनाएं आदिवासियों के साथ ज्यादा हो रही है और वो भी जब तब आदिवासी अपने हक व अधिकार के लिए आगे आया है अपना हक मांगने लगा है,,ऐसी घटनाओं के लिए न्याय के लिए आवाज उठाना मात्र विपक्ष का ही काम रहता है या फिर वो दल जो सत्ता में नही रहते है उनका ही,
जबकि इसमें तो सत्ताधारी दलों के तमाम नेताओ व कार्यकर्ताओं को भी आगे आकर ऐसी घटनाओं के लिए न्याय मांगना चाहिए और ऐसी सजा होनी चाहिए ताकि दहशतगर्द की रूह कांप जाए और आगे से ऐसी घटनाओं की पुनरावर्ती न हो,,,,अब बात आती है सत्ता में बैठे आदिवासी नेतृत्व की वो भी जिस समाज के आरक्षण के बल पर सत्ता में भूमिका में है वो भी सत्ता को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए मजबूर नही कर रहे,न ही दो शब्द सहानुभूति में बोल रहे है क्या समाज की इज्जत से बढ़कर सत्ता हो गयी ,,,चलिए सत्ता जाने का डर होगा,,परन्तु क्या 33 करोड़ देवी देवताओं ,,4 वेद वाले व ऋषिमुनियों की तपोभूमि वाले देश मे आज मानवता खत्म हो चुकी है इंसानियत नही बची है,,एक कथावाचक के यहां 10लाख पब्लिक इकट्ठी हो रही है तो फिर जब आपमें मानवता नही है तो क्या औचित्य ?
हमारा देश बड़े बड़े मंचो पर बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ,,खुशहाल भारत खुशहाल राष्ट्र का दम दूसरे देशों में भरता है क्या हमारे नैतिक मूल्यों का पतन हो चुका है,,क्या आनेवाले समय मे वही आवाज उठाएगा जो सत्ता में नही है,,फिर सत्ता का क्या औचित्य,,,,ऐसे में तो देशप्रेम की आत्मा ही खत्म हो जाएगी,,जब एक जवान जो देश की रक्षा के लिए हमारी देश की आबरू बचाने के लिए बॉर्डर पर खड़ा है,क्या हम 140 करोड़ लोग उसके घर की आबरू की रक्षा नही कर पा रहे है कहां जा रहा है हमारा देश??
क्या ऋषि मुनियों की पवित्र देवभूमि भारत ऐसे सन्तो से देवताओं से खाली हो चुकी है ??,,पवित्र मंदिरों में करोड़ो लोग शीश झुकाते है परंतु दरिंदे वहां भी दुर्गा शक्ति कहलाने वाली माताओं की आबरू लूट रहे है और हम केवल सत्ता पक्ष विपक्ष कर रहे है मानवता कोई मायने नही रखती या इंसानियत खत्म हो चुकी है,,
टी आर (ध्रुव)चौहान
राष्ट्रीय महासचिव जकास