शिवराज सरकार मे दलितों के आधिकार सुरक्षित नहीं
कबीर मिशन सामाचार/मध्यप्रदेश,
छतरपुर । सबका साथ सबका विकास की बात करने वाली सरकार ने अगर सच में दलितों का साथ दिया होता और दलितों के विकास की बात की होती तो आज आजादी के पावन पर्व पर दलितों की हालत ऐसी नहीं होती । एक तरफ सागर में दलितों के लिए रविदास मंदिर बनाया जा रहा है ओर दलितों के हित की बात की जा रही है । लेकिन मंदिर बनाने से पहले अच्छा होता की मध्यप्रदेश के दलितों को आधिकार से जीने के लिए कठोर कदम उठाए जाते ।
सोशल मीडिया के माध्यम से एक वीडियो वायरल हुआ है बताया जा रहा है कि छतरपुर जिले की घटना है जिसमें कहा जा रहा है कि दलित सरपंच बारेलाल अहिरवार को झंडा वंदन करने से रोका गया । वहीं सरपंच ने इसका विरोध करते हुए इल्ज़ाम लगाया कि दलित होने की वजह से उन्हें झण्डा फहराने से रोका गया। एक तरफ लोग आजादी का जश्न मना रहे हैं वहीं दूसरी तरफ आजाद भारत में एक दलित सरपंच को अपने अधिकार से वंचित किया जा रहा है ।
जिसमें यह बड़े ही शर्म की बात है एक जाति विशेष को लेकर ऐसी घटनाएं आए दिन होती है लेकिन ऐसी घटनाओं पर आज तक सरकार बस कार्रवाई की कहकर आश्वासन दे दिया जाता है । किंतु इन घटनाओं को दोबारा ना दोहराया जाए इसके लिए कोई कड़ा कदम आज तक नहीं उठाया गया ऐसी घटनाये प्रदेश में एक जाति विशेष को लेकर सिर्फ झंडा फहराने को लेकर ही नहीं बल्कि दलित होने की वजह से कई तरह के प्रपंच रच कर तथाकथित संकुचित मानसिकता के लोग आए दिन दलितों पर अत्याचार करते हैं रहते हैं ये कोई पहली घटना नहीं मध्य प्रदेश में हर साल एक-दो मामले ऐसे मामले सामने आ जाते है।
आखिर कब तक मध्यप्रदेश का दलित आदिवासी जुल्म सहता रहेगा कहीं दलितों के सिर पर पेशाब कर देते है घोड़ी पर चढ़ने से रोका जाता है मंदिर में प्रवेश नहीं तो कहीं झंडा फहराने से रोका जाता है । लेकिन ऐसा मध्यप्रदेश में दलित आदिवासी के साथ होना तो तय है जब देश के सर्वोच्च पद पर बैठे पूर्व राष्ट्रपति महोदय रामनाथ कोविंद, एवम वर्तमान महामहिम राष्ट्रपति महोदय द्रोपती मुर्मू के साथ हो सकता है तो यह आम बात है । मध्यप्रदेश के मामा के राज मे दलितों आदिवासियों की ऐसी हालत होना बेहद शर्मनाक है । आखिर शिवराज सरकार कब तक दलितों को छलती रहेती ।