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क्या आप फसलों में इल्लियों, पीलेपन और अन्य किटों से परेशान हैं तो करें ये रामबाण इलाज?

किसान/बागवानी, मध्यप्रदेश 8462072516। किसान बड़ी मेहनत से अपनी फसल को उगता है और कम लागत में अधिक और अच्छी पैदावार चाहता है। खासकर सब्जीयों में इल्लियों की अधिक समस्या होती है। यदि आप अपनी फसलों में इल्लियों, मच्छर, पौधे ग्रोथ को लेकर परेशान हैं और बाजार से कई रासायनिक महंगी दवाओं का प्रयोग करते हैं तो सावधान हो जाएं। सब्जियों में कैमिकल युक्त दवाईयों से आपको कई दुष्परिणाम होते हैं। जो फसलों को हम पैदा करते हैं वहीं हम खाते हैं जिससे उस कैमिकल का अंश हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और शरीर में इसके साइड-इफेक्ट होते हैं जो दिखाई नहीं देते हैं।

मतलब साफ है कि पहले फसलों पर खर्च और बाद में हमारे शरीर पर खर्च करना पड़ता है। वहीं स्वाद में भी परिवर्तन आपने देखा होगा। इसके लिए किसानों को जैविक खेती करने के लिए सरकार भी प्रेरित कर रही है। कई किसानों को जैविक प्रोडक्ट महंगे लगते हैं लेकिन जो ग़लत है इसका असर लम्बे समय तक रहता है और अधिक रकबे में आता है लंबे समय तक सुरक्षित व प्रयोग में कर सकते हैं। बार बार अलग-अलग दवाईयां नहीं लाना पड़ता है। किसान का बजट वहीं रहता है क्योंकि बाजार से आप पांच सौ हजार रुपए की 4-5 बार लाकर स्प्रे करता है और इसमें केवल एक बार ही खर्च करना पड़ता है।

खैर अब जाने इल्लियों का रामबाण उपाय

अभी वर्तमान में सब्जियो के साथ ही मसूर, चना में माउवा, इल्ली लग रही है और अब तो गेहू में भी इल्लियों का आतंक हो गया है। इसलिए जल्दी करो ये उपाय।इसके लिए आज सबसे बेहतर और अच्छा जैविक प्रोडक्ट है जैम्स बांड (jems bond) जो नवभारत फर्टिलाइजर कंपनी का पुर्णता जैविक प्रोडक्ट है। इसका एक लीटर का पैक 2600 रू में 8-10 बीघा में आता है और आधा लीटर का पैक 1400 रू में 4-5 बीघा में आता है। यह जैविक प्रोडक्ट फसल को 20-25 दिनों तक सुरक्षित रखता है जिससे बार बार अन्य दवाईयों की तुलना में कम स्प्रे करने पड़ता है। एक पंप में 30-35 ml डालते हैं।

कांबी पैकेज – यदि आप इसका कांबी पैकेज इस्तेमाल करते हैं तो आपकी फसलों में बहुत बेहतर परिणाम देखने को मिलेगा और इसका कोई भी दुष्परिणाम नहीं होते हैं और सब्ज़ियों में स्वाद भी आएगा। कांबी पैकेज में आपको जैम्स बांड के साथ विंजाइम एल (1लीटर में) और 400 ग्राम का विजेता का पैक फ्री में दिया जाता है जिसमें 6-7 प्रकार के सुक्ष्म पोषक तत्व (सल्फर, मैगजीन, आयरन, बोरान, कोबाल्ट, मैल्बिडीनम, जिंक आदि ) होते हैं जिससे माइक्रोन्यूट्रांस कहते हैं। इससे फसलों को इल्लियों, अन्य किटों से राहत मिलेगी ही साथ ही पौधे ग्रोथ करेंगे और आपकी बागवानी को हरा-भरा बनाकर रखता है। पत्ते जो जंग लगे या पीले पड़ते हैं। मुड़ते हैं उन्हें खराब होने से भी बचाता है। पौधे को संक्रमण से सुरक्षित रखने का रक्षा तंत्र तैयार करता है। फलों और फूलों में बढ़ोतरी होगी। फलों को अच्छा बनाता है जिससे बाजार में आपको अच्छे दाम मिलेंगे।

रासायनिक और जैविक खेती में वही अंतर रहता जो मिट्टी के चुल्हे पर बनी रोटी और गैस सिलेंडर की बनी रोटी में होता है। इसलिए हम कई सालों से रासायनिक खेती कर रहे हैं जिससे हमारी जमीन की आदत हो गई और मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो गई है केंचुओं की कमी हो गई है जिससे फसलों में बीमारियां अधिक लग रही है। इसलिए किसान भाईयों हमें रासायनिक प्रोडक्ट्स के साथ साथ जैविक प्रोडक्ट का प्रयोग करना चाहिए जिससे दोनों तरफ की से फसलों को अच्छा भोजन मिलेगा और इंसान को भी।

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