कबीर मिशन समाचार जिला सीहोर।संजय सोलंकी
मध्यप्रदेश में लगभग 1.86 करोड़ लोग करते हैं धूम्रपान और धूम्ररहित तंबाकू का सेवन कलेक्टर बालागुरू के की अध्यक्षता
में राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक सम्पन्न हुई। कलेक्टर श्री बालागुरू के ने निर्देश दिए कि तम्बाकू के सेवन से होने वाले दुष्परिणामों की जानकारी देकर नशा त्यागने के लिए नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएं।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत गठित जिला स्तरीय समिति के सदस्य भी अपने-अपने कार्य क्षेत्र में तम्बाकू मुक्त समाज बनाने में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करें।
उन्होंने सभी अधिकारियों से कहा कि वह कोटपा एक्ट -2003 के नियमों का कढ़ाई से पालन करवाना सुनिश्चित करें। इसके तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध का चिन्ह वाला बोर्ड एवं फ्लैक्स लगाए जाएं। उन्होंने कोटपा एक्ट के उल्लंघन पर जुर्माने की कार्यवाही भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए
बैठक में जिला पंचायत सीईओ डॉ नेहा जैन, अपर कलेक्टर श्री वृंदावन सिंह, मध्यप्रदेश वॉलन्ट्री हेल्थ एसोसिएशन के परियोजना समन्वयक आनंद वर्मा सहित जिला अस्पताल के अधिकारी एवं चिकित्सक उपस्थित थे।
तम्बाकू और कानून तंबाकू के विरुद्ध कानून तंबाकू सेवन को प्राप्त सामाजिक मान्यता को समाप्त करने की दिशा में एक प्रभावी कदम है। सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनियमन)
अधिनियम, 2003 में निहित प्रावधानों के अनुसार तंबाकू उत्पादक एवं उसके उत्पाद बनाने वाले (निर्माता) को दो साल की सजा या 5000 रूपये तक जुर्माना या दोनो हो सकते हैं। उन्हें दोबारा ऐसा करते पाये जाने पर 5 साल की सजा या 10000 रूपये तक जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
शैक्षणिक संस्थानों के परिसर से 100 यार्ड की दूरी तक तंबाकू उत्पाद बेचने पर प्रतिबंध है। इस अधिनियम के अनुसार अठारह साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार का तंबाकू उत्पाद नहीं बेचा जा सकता तथा वैधानिक चेतावनी अंग्रेजी तथा कोई एक भारतीय भाषा में दी जानी चाहिए।
तंबाकू उत्पाद बनाने वाली कोई भी कंपनी खेलों तथा सांस्कृतिक आयोजनों को प्रायोजित नहीं कर सकेगी। नियमों के अनुसार निकोटिन एवं टार अवयव तथा उनकी अधिकतम स्वीकृत मात्रा पैकेटों पर दर्शाया जाना
चाहिए। यह एक्ट सिगरेट, सिगार, चिरूट, बीड़ी, हुक्का चबाने वाली तंबाकू, पान मसाला और गुटखा या किसी भी अन्य चबाकर खाये जाने वाले उत्पाद जिसमें तंबाकू हो उन सभी पर लागू होता है। तंबाकू छोड़ने के लिये क्या करें
तंबाकू छोड़ने के लिए ‘शुभश्च शीघ्रम्’ एक बार दृढ़ता पूर्वक निश्चय कर लीजिए। उसी दिन इस बात की जानकारी अपने रिश्तेदारों मित्रों व परिचितों को दीजिए की आपने तंबाकू छोड़ने का निर्णय लिया है।
अपने किसी मित्र या परिजन को आपका साथ देने के लिए तैयार कीजिए ताकि वे कमजोर क्षणों में आपको साहस दे सकें। जिन क्षणों में तंबाकू सेवन की जरूरत होती है उन क्षणों में अपने आपको दृढ़ता पूर्वक रोकें तथा अपना ध्यान दूसरी ओर लगायें।
अपना मनोबल बनाए रखें तथा मित्रों एवं परिजनों के साथ तम्बाकू से दूर रहने की बड़ी से बड़ी शर्त लगायें। यदि एकदम न छोड़ सकें तो आरंभ में आधी सिगरेट पीयें, कम तंबाकू खायें, रोज के समय को टाल कर एक घंटा देरी से सेवन करने का प्रयास करें और फिर निरंतर कम सेवन करके पूरी तरह त्याग दें।
तंबाकू, बीड़ी सिगरेट ऐश्ट्रे लाइटर आदि अपने साथ कदापि न रखें। धूम्रपान में मध्यप्रदेश की स्थिति बैठक में मधयप्रदेश वॉलन्ट्री हेल्थ एसोसिएशन के परियोजना समन्वयक आनंद वर्मा ने बताया कि कि मध्यप्रदेश में 15 वर्ष से अधिक उम्र की जनसंख्या
5,45,47,000 है। इस जनसंख्या में से लगभग 1.86 करोड़ लोग धूम्रपान और धूम्रपान रहित तंबाकू का सेवन करते हैं, जिसमें सिगरेट का सेवन करने वाले लगभग 07 लाख और बीड़ी का सेवन करने वाले लगभग 50 लाख लोग शामिल हैं।
इसी प्रकार धूम्ररहित तंबाकू सेवन करने वाले 1.53 करोड़ एवं धूम्रपान व धूम्ररहित दोनों तंबाकू सेवन करने वाले 22 लाख लोग शामिल ।
उन्होंने बताया कि सिगरेट का सेवन करने वाले एक व्यक्ति का औसत मासिक व्यय 468 रूपये है तथा औसत सलाना व्यय 5616 है और तीस वर्षों का औसत व्यय निकालें तो एक व्यक्ति सिगरेट पीने में लगभग 1,68,480 रूपये व्यय करता है।
यदि सिगरेट का सेवन करने वाले सभी 07 लाख व्यक्तियों का तीस वर्षेा का औसत व्यय निकालें तो यह खर्च 11 हजार 793 करोड़ 60 लाख पर पहुंच जाता है।
इसी प्रकार बीड़ी का सेवन करने वाले एक व्यक्ति का औसत मासिक व्यय 117 रूपये तथा औसत वार्षिक व्यय 1404 रूपये है। अगर तीस वर्षों का व्यय देखें तो एक व्यक्ति बीड़ी के सेवन में तीस वर्ष में लगभग 42,120 रूपये खर्च कर देता है।
यदि मध्यप्रदेश के बीड़ी का सेवन करने वाले सभी 50 लाख व्यक्तियों का तीस वर्षों का औसत व्यय निकालें तो यह आंकड़ा 21 हजार 60 करोड़ से भी अधिक पहुंच जाता है।