माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ के जी सुरेश ने कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की अपनी सीमा है। वह इंसान के दिमाग का मुकाबला नहीं कर सकता है। इस इंटेलिजेंस के कारण सुविधा भी मिलेगी तो चुनौतियां भी आएगी। संवेदनाएं केवल इंसानी दिमाग से ही प्रकट हो सकेगी।वे यहां देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला में नए दौर के मीडिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे इस संगोष्ठी का आयोजन अध्ययनशाला एवं शोध पत्रिका समागम के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
आज मोबाइल हम चला रहे हैं लेकिन हकीकत यह है कि मोबाइल हमे चला रहा है। आज विश्व के कई देशों में मोबाइल व्रत शुरु हो गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस दौर में हमें अपनी आदत में बदलाव लाना होगा कोई भी तकनीक ऐसी नहीं है जो की मनुष्य के रिश्ते को समझें। तकनीक की अपनी सीमा है। ए आइ के कारण डीप फेंक का खूब उपयोग किया जाएगा अब तो हूबहू आवाज भी बन रही है । इस तकनीक के खतरे ज्यादा है। ऐसे में यह जरूरी है कि हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आंख मूंदकर भरोसा ना करें।
कार्यक्रम में विषय की प्रस्तावना करते हुए डॉ लखन रघुवंशी ने कहा कि हिंदी में शोध के क्षेत्र में समागम में एक नई नीव रखी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का लाभ है और नुकसान भी है चैट जीपीटी उतना ही बताता है जितना उसे इन पुट दिया गया है। इसका लाभ क्या है गलत खबर है तो उसकी जानकारी निकाल सकते हैं इसमें रचनात्मकता की कमी है इसका उपयोग करते हुए हमें कापी राइट से बचना है। इसके इंटेलिजेंस से दिक्कत है यह इतना इंटेलिजेंट नही है इस मशीन में मानव दिमाग की तरह क्षमता नही है।इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने कहा कि यह एक ऐसा विषय है जिसे सीखना होगा। ए आइ वरदान है लेकिन इसके साथ ही जरूरी है कि इसका उपयोग सोचकर करें। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से चाहे जितना काम किया जा सकता हो लेकिन खबर आपको ही पैदा करना होगी।
उस खबर में वैल्यू एडिशन जोड़ने में हम मदद लें लोगों का भरोसा मीडिया पर है इस भरोसे को कायम रखना भी मीडिया की ही जिम्मेदारी है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इस भरोसे को कभी हासिल नहीं कर सकता है।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विशेषज्ञ राजकुमार जैन ने कहा कि बौद्धिकता कभी भी कृत्रिम नहीं हो सकती है ऐसे में इसका भरोसा शुरुआत से ही संदिग्ध हो जाता है।हम ए आइ की मदद आर्टिकल तैयार करने मैं ले सकते हैं इसमें भी हमें यह ध्यान रखना होगा कि वह पुरानी जानकारी ही हमें देगा ऐसे में हमें अपने काम के टूल्स का उपयोग करना चाहिए।यह चिंता मत कीजिए कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण नौकरी जाएगी बल्कि मैं तो कहता हूं इस तकनीक के आने के बाद तकनीक को समझने वालों को नई नौकरी मिलेगी।कार्यक्रम के प्रारंभ में समागम के संपादक मनोज कुमार ने कहा कि एक शोध पत्रिका का 23 वर्ष का सफर अपने आप में चुनौतीपूर्ण है ।
हम हमेशा नए और ज्वलंत मुद्दे को चर्चा के लिए लेकर आते हैं। इसी कड़ी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर चर्चा की जा रही है। इस चर्चा के साथ ही इस पर आधारित समागम का नया अंक भी लोकार्पित किया गया।कार्यक्रम में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के रजिस्टर अजय वर्मा ने कहा कि तकनीक उपयोग के लिए होती है हमें तकनीक की कमी और अच्छाई को समझना होगा और उसी के हिसाब से काम करना होगा।इस कार्यक्रम में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ रेनू जैन भी मौजूद थी उन्होंने भी कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों को तकनीक के इस दौर में अपनी क्षमता के निर्माण के लिए शुभकामनाएं दी।