सीहोर। शहर के कोतवाली चौराहे पर श्री नव दुर्गा उत्सव समिति के तत्वाधान में शनिवार को कलश यात्रा के साथ तीन दिवसीय श्रीराम कथा का शुभारंभ किया गया। कथा के पहले दिन पंडित रमेश मुदगल ने कहा कि अयोध्या में भगवान के विराजमान हो रहे है, यह राष्ट्र के लिए गर्व की बात है। जिस प्रकार राम जी 14 वर्ष के वनवास को पूर्ण करके अयोध्या पधारे तो संपूर्ण अयोध्या वासी दीपावली उत्सव मनाने लगे आज पुन: वही स्वरूप अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का दिन है समस्त भारतवासी आज इस उत्सव को पुन: अपने जीवन में संजोग कर रख रहे। कथा के पहले दिन पंडित श्री मुदगल ने भगवान राम और भक्त हनुमान के बारे में विस्तार से जानकारी दी।उन्होंने कहा कि राम भक्त श्री हनुमान जी के नाम, जप, मनन और ध्यान में जप यज्ञ देखने समझने को मिलता है। उनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य प्रभु श्री राम जी की सेवा, उनका ध्यान, उनके ही नाम का सिमरन करना था।
उनके इस जप ने उनके अहम का सदा के लिए हनन कर उन्हें हनुमान बना दिया। जब श्रीराम जी की प्रत्यक्ष सेवा से उन्हें किचित भी अवकाश मिलता तो उस समय वे सोते, जागते, खाते-पीते, चलते-उठते-बैठते अन्य सभी क्रियाओं के मध्य अपने अंतरतम-ह्दय में राम नाम का जाप करते रहते हैं, जिसके फलस्वरुप उनके रोम छिद्रों से राम-राम की ध्वनि होती रहती है। उन्होंने कहा कि जप के द्वारा जापक को भावना अनुकूल ही अपने ईष्टदेव के दर्शन का आध्यात्मिक आनंद मिलने लग जाता है। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में अपनी विभूतियों का वर्णन करते हुए कहा है कि मैं समस्त यज्ञों में जप यज्ञ हूं। जप को भगवान का स्वरूप मानकर जप करना चाहिए। इसका एक सीधा व सरल अर्थ ये भी हुआ कि सच्चे जाप के द्वारा भक्त अंत में भगवनमय ही बन जाता है। जप का एक बहुत ही गोपनीय स्वरुप भी है।