गुरू बिन ज्ञान न उपजै, गुरू बिन मिलै न मोक्ष। गुरू बिन लखै न सत्य को गुरू बिन मिटै न दोष।।
दतिया से विकास वर्मा की रिपोर्ट। कबीर दास कहते है हे सांसरिक प्राणियों। बिना गुरू के ज्ञान का मिलना असम्भव है। तब तक मनुष्य अज्ञान रूपी अंधकार में भटकता हुआ मायारूपी सांसारिक बन्धनों मे जकड़ा रहता है जब तक कि गुरू की कृपा प्राप्त नहीं होती। मोक्ष रूपी मार्ग दिखलाने वाले गुरू है। बिना गुरू के सत्य एवं असत्य का ज्ञान नहीं होता। उचित और अनुचित के भेद का ज्ञान नहीं होता फिर मोक्ष कैसे प्राप्त होगा…? अतः गुरू की शरण में जाओ। गुरू ही सच्ची राह दिखाएंगे।