भारतीय मुद्रा का अबैध अवमूल्यन प्रचंड के इशारे पर
प्रदीप कुमार नायक
स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार
भारत और नेपाल के बीच राजनितिक समीकरण हमेशा से बनते -बिगड़ते रहें है! लेकिन आपसी रिश्तों में कभी दरार नहीं आई है! इसकी बड़ी वजह यह है कि नेपाल की एक बड़ी आबादी का भारत से बेटी -रोटी का सम्बन्ध है!यह सम्बन्ध भी बरस-दो बरस का नहीं बल्कि सदियों की है!लिहाजा सुख -दुःख में एक दूसरे के साथ खड़ा होना उनकी मज़बूरी नहीं बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी का तगाजा है!
नेपाल में एकबार फिर भारतीय मुद्रा का अप्रत्याशित अबैध अवमूल्यन का मामला उभरा है! भारत और नेपाल के सीमावर्ती बाजारों में भारतीय मुद्रा का अप्रत्याशित अबैध अवमूल्यन हो रहा है!दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत भारतीय तथा नेपाली मुद्रा की विनिमय दर निर्धारित है!उसके अनुसार एक सौ भारतीय रुपैया के बदले 160 नेपाली रुपैया देय है!इसी तरह एक हजार नेपाली रुपैया के बदले 625 भारतीय रुपैया की दर तय है! सीमावर्ती क्षेत्र के बैंक तथा सटही काउंटरों पर आमलोग अपने रुपैयों का इसी दर से विनिमय करते रहें है!इधर कुछ महीनों से सटही केन्द्रो पर भारतीय मुद्रा का तेजी से अवमूल्यन हो रहा है!इसको इस रूप में आसानी से समझा जा सकता है! पहले नेपाल के लोगों तथा व्यापारियों के बीच भारतीय मुद्रा की मांग अधिक होती थी!उसके उलट आजकल नेपाली मुद्रा की मांग में तेजी से बृद्धि हुई है!अबैध मुद्रा विनिमय केंन्द्रो का परिदृश्य चौकाने वाला है!
अवमूल्यन के कारणों की पड़ताल करने पर इसके पीछे चीन की साजिस सामने आ रही है!हालांकि ऐसा नहीं है कि चीन भारत को सिर्फ भूराजनितिक चोट देने कि कोशिश करता है, वह अब भूआर्थिक चोट भी देने का प्रयास कर रहा है!चीन का मकसद भारतीय अर्थ व्यवस्था को अधिक से अधिक नुकसान पहुँचाना है!नेपाल में आज चीन वैसा सब कुछ कर रहा है, जिससे भारत को सामरिक एवं आर्थिक रूप से कमजोर किया जा सके!उसकी इसी भूराजनीतिक रणनीति का परिणाम भारतीय मुद्रा का अबैध अवमूल्यन है!जानकारों के अनुसार चीन नेपाल को “मेड इन चाइना “सामान का डंप ग्राउंड बना रहा है!इसके पीछे उसकी मंशा तस्करी के जरिये मेड इन चाइना वस्तुओं को भारत के सीमावर्ती बाजारों में पहुँचाना है!
सीमावर्ती क्षेत्र पर आजकल वैसा भी हो रहा है कि नवंबर -दिसंबर 2022 से लेकर जुलाई 2023 तक की अवधि में सीमा पर भारतीय रुपैया के आश्चर्य जनक अवमूल्यन से लोग हैरान है!व्यापारियों और आम लोगों के बीच यह खास चर्चा का विषय बना हुआ है!सीमावर्ती क्षेत्र के लोग हैरान है कि आखिर भारतीय मुद्रा का अबैध अवमूल्यन क्यों हो रहा है ? इसका रहस्य क्या है ? इस ऐतिहासिक मुद्रा के अवमूल्यन का कारण क्या है ? इसकी तहकीकात में चौकाने वाले तथ्य सामने आया है!इस क्रम में दोनों देशों के बहुत से व्यापारियों, विनिमय कारोबारियो, आम लोगों तथा विशेषज्ञ से विचार -विमर्श किया गया!जिसमें सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह आया कि नेपाल नये सिरे से अंतराष्ट्रीय सोना तस्करों का बड़ा अड्डा बन गया है!
जनकपुर सिरहा,,लहान,नेपालगंज, धनगडी , बिराटनगर, बिरगंज, काठमांडू, दांग, गौर, बिर्तामोड़ और झापा बाजार इसके प्रमुख केन्द्र के रूप में उभर रहें है!नेपाल पुलिस की विभिन्न अनुसन्धान रिपोर्ट से यह स्पष्ट हुआ है कि सोना चीन से आता है और तस्करी मार्ग से भारत पंहुचा दिया जाता है!ऐसा हम नहीं बल्कि नेपाल पुलिस द्वारा सोना तस्करी से जुड़े कई मामलों के उद्दभेदन की रिपोर्ट कहती है!पिछले वर्षों में सोना तथा डालर की तस्करी से सबंधित अनेक मामलों में चीनी नागरिकों की संलिप्तता सामने आई!उन तमाम लोगों का जुड़ाव तस्कर गिरोह से था!नेपाल पुलिस के अनुसन्धान में यह बात उजागर हुई है कि पिछले दो वर्षों में चीन संचालित इस गिरोह द्वारा पांच टन से अधिक सोना तस्करी के जरिये भारत पहुंचाया गया है!उसकी क़ीमत लगभग 17 बिलियन आँकी गई है!
अबैध सोना में से करीब 60 से 70 प्रतिशत चीन से आ रहा है!वैसे तो मूल्य में अंतर होने के कारण नेपाल से भारत में सोने की तस्करी पहले भी होती रही है!लेकिन, दो प्रमुख कारणों से इन दिनों इसमें तीव्र वृद्धि देखी जा रही है!पहला कारण भारत सरकार द्वारा सोना पर आयात शुल्क में 15 प्रतिशत की वृद्धि तथा दूसरा दो हजार के भारतीय नोट के बंदी है!सूत्रों के अनुसार दो हजार के नोट के बन्द होने से सोना की तस्करी में 30 से 40 गुणा वृद्धि हुई है!कारण कि भारत में अधिकतर लोग अपने अबैध धन का निवेश अब सोना खरीद में कर रहें है!ऐसा माना जा रहा है कि मुख्यतः इन्हीं दो वजहों से सोना की तस्करी बढ़ रही है!
सोना के आलावा नेपाल डालर तथा चीनी मुद्रा की अबैध खरीद -बिक्री का भी बड़ा केन्द्र बना हुआ है!नेपाल पुलिस सूत्रों के अनुसार पिछले दो वर्षों में डालर की तस्करी के आरोप में तीन दर्जन से अधिक चीनी नागरिक गिरफ्तार किये गए है!पुलिस के अनुसन्धान में यह बात सामने आई है कि डालर तस्करी का सीधा सम्बन्ध सोना तस्करी से है!चीन से लोग सोना लेकर नेपाल आते है और डालर अथवा चीनी मुद्रा लेकर लौट जाते है!सीमावर्ती क्षेत्र के कई सफेदपोश लोग चीनी मुद्रा रेनेम्बी के अबैध कारोबार में लिप्त है!
इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत और नेपाल के व्यापारिक रिश्ते बहुत प्रगाड़ है!भारत पड़ोसी देश नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है!लेकिन, स्थिति अब तेजी से बदल रही है!चीन नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार के रूप में उभरने लगा है!भारत सरकार द्वारा चीन निर्मित कई वस्तुओं के आयात पर प्रतिबन्ध लगाए जाने के बाद से नेपाल के रास्ते चीनी वस्तुओं की तस्करी बेतहाशा बढ़ गई है!एक अनुमान के मुताबिक नेपाल से भारत में चीन निर्मित सामानो का अबैध कारोबार तक़रीबन दो हजार करोड़ से अधिक का हो गया है!चीन से नेपाल आयात में भी तेजी से वृद्धि हो रही है!
दूसरी ओर यह भी कहाँ जा रहा है की भारत से नेपाल के बीच अबैध सोना, गांजा, चरस तस्करी और नेपाल के अबैध हुंडी तथा हवाला कारोबारियों की मनमानी, नेपाल में प्रतिदिन लगभग पांच करोड़ भारतीय मुद्रा में कसीनो में जुआ खेलने वाले हार कर आ रहें है, भारतीय मुद्रा का अवमूल्यन का एक कारण यह भी है!नेपाल में भारतीय मुद्रा का अवमूल्यन होने से भारत -नेपाल के बीच दोपक्षीय आयात -निर्यात के साथ पर्यटन और नेपाल के स्थानीय सीमावर्ती बाजार भी अत्यधिक प्रभावित हुए है!
इसे फिर से बताना आवश्यक है की नेपाल के सीमावर्ती बाजार में एक सौ भारतीय रुपये का लेनदेन पहले 160 रुपये नेपाली होता था!जों अब मात्र 150 से 155 रुपये तक हो रहा है!इसका मतलब यह कि लेनदेन में भारतीय रुपैया कमजोर हो रहा है!यहाँ यह भी बताना आवश्यक है कि 1957 में भारत और नेपाल के बीच आर. बी. आई. और नेपाल राष्ट्र बैंक के साथ समझौता हुआ था!इसमें यह तय किया गया था कि भारतीय एक सौ रुपये के बदले 160 नेपाली रुपये मिलेंगे!अधिकारिक रूप में तो यही रेट है, लेकिन व्यवहारिक रूप में अभी इसका अवमूल्यन हो रहा है!नेपाल के कई सीमावर्ती क्षेत्रों में दो सौ व पांच सौ रुपये के नोट नहीं लिए जा रहे है!कोई भी भारतीय सिर्फ 25 हजार तक नगदी नेपाल ले जा सकता है!इसके चलते दोनों देशों के व्यापार पर भी असर पड़ रहा है!व्यापारियों ने भारत और नेपाल दोनों देशों के सरकार से इस मामले को गंभीरता से ध्यान देने की मांग की है!
हालांकि, ऐसा नहीं है कि चीन भारत को सिर्फ भूराजनितिक चोट देने की कोशिश करता है, बल्कि अब वह भारत को भूआर्थिक चोट भी देने का प्रयास कर रहा है!ताकि भारतीय अर्थ व्यवस्था को अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाया जा सके!चीन आजकल नेपाल की धरती का प्रयोग भारत को आर्थिक एवं रणनीतिक नुकसान पहुंचाने में कर रहा है!
चीन नेपाल में आज वह सब कुछ कर रहा है, जिससे भारत को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से कमजोर किया जा सके!
नेपाल में बदले राजनितिक समीकरण और माओवादियों के सुप्रीमों तथा प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल उर्फ़ प्रचंड के चीन के इशारे पर बढ़ते आतंक से नेपाल में रह रहें भारतीय मूल के मधेसी लोग अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहें है!नेपाल में बढ़ती परिस्थिति और भारतीय मूल के व्यवसायियों और उद्योगपतियों पर बरप रहें प्रचंड के कहर ने पलायन करने पर मजबूर कर दिया है!इस पर भारत सरकार को भी कुछ करना चाहिए!
लेखक – स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं, समाचार पत्र एवं चैनलों में अपनी योगदान दे रहें है!
मोबाइल – 8051650610