ग्वालियर मध्यप्रदेश

मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग में आदिवासी परिवारों को पट्टे दिए जाए

मूलचंद मेधोनिया पत्रकार भोपाल

ग्वालियर।
एडवोकेट जयंती लाल जाटव
(सरकार वन विभाग मुरैना के अधिकारियों को निलंबित करें)
ग्वालियर, 27 अगस्त 2023
मुरैना जिले के नूराबाद थाना अंतर्गत घनेला पंचायत के करह बाबा का पुरा गांव में 70 वर्षो से निवास कर रहे आदिवासी परिवारों के लगभग 100 से अधिक कच्चे एवं पक्के मकानों को तोड़कर उन्हें बेदखल कर दिया गया है तथा विरोध करने पर महिला बच्चों की मारपीट तक की गई, ऐसा पीड़ित आदिवासियों का आरोप है। पीड़ित आदिवासी कलेक्टर से मिलने पहुंचे ।घनेला पंचायत के करह बाबा का पुरा गांव में रहने वाले पप्पू आदिवासी एवं बंटी आदिवासी ने बताया कि लगभग सौ से अधिक परिवार पिछले 70 वर्ष से गांव में कच्चे एवं पक्के मकान बनाकर रह रहे हैं और उनके पास राशन कार्ड, आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र जन्म प्रमाण पत्र सब कुछ है। वन विभाग मुरैना के अधिकारियों ने जेसीबी से उनके कच्चे एवं पक्के मकानों को ध्वस्त कर दिया, जिससे अब उनके सर से छत छिन गई है और वह बेघर हो गए हैं।

पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं एवं बच्चे भी काफी संख्या में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गए हैं खाने पीने को मोहताज हैं, ऐसे में उनके लिए अब रहने खाने पीने सोने के लिए छत की व्यवस्था कहां से होगी,आदिवासियों का कहना है कि वह कल फिर मुरैना आएंगे और जिला कलेक्टर से मुलाकात कर न्याय की गुहार करेंगे,सहरिया आदिवासियों का आरोप है कि वन विभाग की टीम ने विरोध करने पर उनके साथ मारपीट कर गाली गलौज की है।


अनुसूचित जाति जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ के प्रांतीय प्रवक्ता एडवोकेट जयंतीलाल जाटव ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि मध्य प्रदेश सरकार के अधिकारी बेलगाम होकर सहरिया आदिवासियों पर अन्याय अत्याचार कर रहे हैं यह सब शासन की सह पर निरंकुश अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है,अत्याचार को जनता देख रही है, अधिकारियों द्वारा दबे कुचले लोगों पर इस तरह का अन्याय सरकार की सह पर किया जा रहा है अथवा अथवा प्रशासनिक अधिकारियों की विकृत मानसिकता के चलते हो रहा है यह दलित आदिवासी जनता देख रही है l आदिवासियों के मकान झोपड़ी यदि सरकार की सा पर नहीं तोड़े गई है तो प्रदेश सरकार वन विभाग के आल्हा अधिकारियों को तुरंत निलंबित करें l परिसंघ मध्य प्रदेश के प्रदेश पदाधिकारियों आर एन ठाकुर, नरेंद्र चौधरी, दशरथ अहिरवार,एडवोकेट बी एल हरोड़,श्यामलाल दोहरिया बसंत खरे,आशीष रायपुरिया, गजेंद्र बागोलिया दारा सिंह कटारे, रमेश परिहार, आदि ने सहरिया आदिवासियों को बिना किसी नोटिस के सुनवाई का मौका तक नहीं दिया गया उनको अपना पक्ष रखने के लिए अवसर नहीं दिया गया संवैधानिक तरीके से बेदखल करने वाले अधिकारियों को तुरंत निलंबित किए जाने की मांग प्रदेश के मुख्यमंत्री से की है।

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