लोकसभा चुनाव में मोदी के पीएम उम्मीदवार बनते ही अदाणी और अंबानी ने की थी अरबों रूपये की फंडिंग
राहुल मेहर मंदसौर
विश्व के अमीर व्यक्तियों की सूची में शीर्ष स्थान पर रहे भारत के बिजनेसमैन गौतम अदाणी के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश जिस तरह से अमेरिकी रिसर्च एजेंसी हिंडनबर्ग ने किया है, उस रिपोर्ट ने गौतम अदाणी को अर्श से फर्श पर ला पटका है। गौतम अदाणी द्वारा किये गये इस घोटाले ने सड़क से लेकर संसद तक हंगामा मचा रखा है। अदाणी के इस कारनामे के बाद राजनैतिक धुरधरों के भी पसीने छूट गये हैं और रातों की नींद उड़ गई है। सोशल मीडिया में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गौतम अदाणी की दोस्ती से जुड़ी जो खबरें आ रही हैं उसमें एक खबर चौंकाने वाली है। उस खबर में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि किस तरह से गौतम अदाणी और रिलायंस समूह के प्रमुख मुकेश अंबानी ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने में सपोर्ट किया। बदले में नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद पर बैठते ही पहले मुकेश अंबानी को पूरे देश में 4जी नेटवर्क और फिर गौतम अदाणी को पूरा देश खरीदने की खुली छूट दे दी। प्रधानमंत्री ने अपने फायदे के लिए जिस तरह से गौतम अदाणी के साथ सौदा किया है वह सौदा आज पूरे देश को महंगा पड़ गया है। अदाणी ने विश्व स्तर पर भारत की छवि को धूमिल कर दिया है जिसका नुकसान आर्थिक रूप से देश की जनता तो भुगत ही रही है, सामाजिक रूप से पूरा देश आने वाले कई वर्षों तक भुगतने को मजबूर हो गया है।
आडवाणी को किनारे कर मोदी बने थे उम्मीदवार
जानकारी के अनुसार वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले जब भारतीय जनता पार्टी की नई दिल्ली में राष्ट्रीय समिति की बैठक हुई तो उसमें वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनने की इच्छा व्यक्त की थी। वरिष्ठता के आधार पर अन्य नेताओं ने भी सहमति देने पर विचार किया था लेकिन नरेन्द्र मोदी ने खुद को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं पर दबाव बनाना आरंभ कर दिया। काफी खींचतान और अमित शाह, राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी के हस्तक्षेप के बाद यह मामला सुलझा और यह तय हुआ कि जो भी उम्मीदवार लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी फंड एकत्रित करेगा पार्टी उसे ही प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनायेगी। पार्टी पदाधिकारियों की यह बात सुनकर तुरंत नरेन्द्र मोदी ने अपना गुजराती दिमाग लगाया और तुरंत गौतम अदाणी और मुकेश अंबानी से चर्चा कर उन्हें पार्टी फंड जुटाने के लिए राजी कर लिया। उस समय तक पार्टी और देश की जनता को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि भाजपा नेता नरेन्द्र मोदी गौतम अदाणी और मुकेश अंबानी के साथ मिलकर क्या करने जा रहे हैं। लेकिन मोदी ने अंबानी और अदाणी के कंधे पर बंदूक रखकर टिगर दबाया और प्रधानमंत्री बनें। इसके बाद उन्होंने तुरंत नि:शुल्क 4जी स्पेक्ट्रम मुकेश अंबानी समूह को उपलब्ध करवा दिया। ऐसा ही गौतम अदाणी के साथ हुआ। 609 नंबर पर अमीरों की सूची में शामिल गौतम अदाणी 08 वर्ष के अंदर 02 नंबर पर कैसे पहुंचे यह हर कोई जानने को बेताब था।
भाजपा नेताओं ने साधी चुप्पी
गौतम अदाणी का अरबों रूपये का भ्रष्टाचार सामने के बाद तमाम भाजपा नेता पूरी तरह से चुप्पी साधकर बैठ गये हैं। मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा जिन्हें बयानबाजी करने और मीडिया में बने रहने खासा शौक रहता है वे भी इस मामले पर कुछ नहीं बोले। यही नहीं संबित पात्रा, रविशंकर सहित कई वरिष्ठ नेता गौतम अदाणी के भ्रष्टाचार पर चुप्पी साधे हुए हैं। सूत्रों के अनुसार पार्टी शीर्षस्थ ने यह निर्देश जारी किये हैं कि जो भी भाजपा नेता इस पूरे मामले पर बयानबाजी करेगा उसका टिकट आगामी चुनाव में कट सकता है। यही कारण है कि सभी मौन धारण किये हुए बैठे हैं।
बीजेपी नेताओं का कालाधन लगा है अदाणी की कंपनी में
रिपोर्ट के अनुसार भाजपा नेताओं के पास जो कालाधन था उसे गौतम अदाणी ने विदेशों में अपनी फर्जी कंपनियां बनाकर व्हाइट करने का कार्य किया है। लेकिन अदाणी और भाजपा नेताओं के इस मंसूबे पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने पानी फेर दिया। अब किसी को समझ नहीं आ रहा है कि इतनी मेहनत का वर्षों से भ्रष्टाचार कर जमा किये गये इन रूपयों की रिकवरी कैसे होगी। होगी भी या नहीं। यही सवाल देश के आमजन के दिमाग भी चल रहा है कि अदाणी ने एसबीआई और एलआईसी का जो अरबों रूपये का पैसा लिया है अगर वो उसे चुकाने में असमर्थ रहा तो यह दोनों ही संस्थान पूरी तरह से डूब जायेंगे, जिसके बाद देश की जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे भी डूब जायेंगे।