बीते दिनों भोपाल के वीआईटी विश्व विद्यालय में हनुमान चालीसा पाठ करने पर स्टूडेंट्स पर फाइन लगाया गया। इस फाइन की तल्ख़ मुखालफ़त करते हुए, सागर में हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के छात्रों ने विवि के गणित विभाग के सामने हनुमान चालीसा का पाठ किया। एक रिपोर्ट के मुताबिक विवि के छात्र प्रतिनिधि शुभांक चाचोदिया ने कहा, “हम छात्र कहीं भी हनुमान चालीसा का पाठ अपनी श्रद्धा से कर सकते हैं इस पर प्रशासन को आपत्ति नहीं होना चाहिए। यदि किसी संस्थान में वहाँ के प्रशासन को छात्रों द्वारा हनुमान चालीसा करने पर आपत्ति है तब वह सभी धर्मों पर बराबर प्रतिबंध लगाए। यह तो छात्र प्रतिनिधि का बोल था। जिनके साथ 20 से ज्यादा छात्रों समूह मौजूद था।
अब मैं आपको कुछ महीने पीछे ले जाना चाहता हूँ और वह गुजरा वक्त याद दिलाना चाहता हूँ। जब 2022 के शुरुआती महीनों में विश्वविद्यालय में एक मुस्लिम समूदाय की छात्रा ने हिजाब पहनकर नमाज़ अदा की थी। जिसको लेकर इस छात्रा और मुस्लिम समूह के खिलाफ़ ना महज़ कड़ी टिप्पणियां की गयी, बल्कि इसके विरोध की ज्वाला कई जुब़ानों ने इतनी मुखर की कि इस घटना की तकरार ने राष्ट्रीय मीडिया तक को अपनी तरफ़ चिपका लिया। फिर होना क्या था, उस छात्रा द्वारा विवि में अदा की गयी नमाज़ का वीडियो पूरी हिंदुस्तानी मीडिया में सुर्खियां बटोरने लगा। उसके उपरान्त हुआ यह कि, 26 मार्च 2022 को विश्वविद्यालय के कुल सचिव संतोष सहगौरा के आदेशानुसार एक अधिसूचना पत्र जारी किया गया। जिसके मूल शब्दों ने यह कहा था कि, “यदि कोई छात्र – छात्रा अपने धर्म से संबंधित अनुष्ठान आदि करना चाहता है तो वह अपने गृह एवं धर्म स्थल में ही करे, इसके विपरीत यदि कोई भी छात्र-छात्रा विश्वविद्यालय द्वारा जारी निर्देशों का उल्लंघन करता है तो उसके विरूद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है।”
लेकिन सोचनीय है कि जिन छात्रों ने विवि में हनुमान चालीसा किया उन पर क्यों कोई कार्यवाही नहीं हुयी? इस क्या यही मतलब है कि विश्वविद्यालय सरेआम भेदभाव किया जा रहा है। इसकी पुष्टि के लिए इत्तला कर दूं कि, कुल सचिव संतोष सहगौरा से जब हमने जब यह जानने के लिए तीन बार फोन संपर्क किया कि, विवि में जो हनुमान चालीसा का पाठ किया गया उस पर क्या कार्यवाही की जायेगी? तब सहगौरा साहब! ने एक भी हमारा फोन अटेंड नहीं किया। इसके पश्चात जब हमनें इस मामले बात करने के लिए उन्हें वाट्सएप मैसेज किया, तब उन्होंने यह बताते हुए हाथ झाड़ लिए कि, इस संबंध में हमारे मीडिया अफसर से बात कीजिये। वहीं इस मामले में हमने कुलपति महोदया से बात करना चाहा, और उनकों फोन लगाया। तब उनके स्विच ऑफ बता रहा था। हांलाकि जो हनुमान चालीसा पाठ किया गया, उस पर कुछ असिस्टेंट प्रोफेसर्स अपना नाम गुमनाम रखने की शर्त पर कहा, “विवि में छात्रों द्वारा
हनुमान चालीसा पाठ करना
ठीक नहीं। इसके खिलाफ़ कार्वाही की जाय।”
विचारणीय है कि मध्यप्रदेश का सबसे पहला विश्व विद्यालय जिसे समानता का प्रतीक होंना चाहिए, वहाँ असमानता का अंधियारा क्यों करवटें लें रहा है?
लेखक: स्वतंत्र पत्रकार सतीश भारतीयसागर