रीवा- रीवा में लोकायुक्त की टीम ने रिश्वत लेते पटवारी को पकड़ा
कबीर मिशन समाचार। प्रमोद कुमार
रीवा लोकायुक्त पुलिस ने एक भ्रष्टाचारी पटवारी को पकड़ा है। लोकायुक्त सूत्रों की मानें तो हुजूर तहसील के पटवारी हल्का दुआरी में पदस्थ पटवारी को 1500 रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया है। दावा है आरोपित पटवारी भू-खंड के नामांतरण उपरांत इस्तलाबी के एवज में रकम मांगी थी। लेकिन बिना पैसे लिए काम करने को तैयार नहीं था।
थक हारकर पीड़ित लोकायुक्त एसपी के पास पहुंचा था। जहां आवेदन का सत्यापन कराने पर शिकायत सही पाई गई। ऐसे में सोमवार की सुबह होंडा शोरूम के सामने बजरंग नगर से रिश्वत के साथ रंगे हाथ पकड़ लिया है।अब लोकायुक्त की टीम पटवारी को लेकर राजनिवास लेकर पहुंची। यहां भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है। कार्रवाई पूरी हो जाने के बाद पटवारी को जमानत पर रिहा कर दिया गया है।
क्या था मामला : एसपी लोकायुक्त गोपाल सिंह धाकड़ ने बताया कि सोमवार की सुबह 11 बजे इन्द्र कुमार द्विवेदी (45) पटवारी हल्का दुआरी तहसील हुजूर जिला रीवा को 1500 रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया है। उसके खिलाफ शिकायतकर्ता अमित द्विवेदी पुत्र राजकुमार निवासी ग्राम दादर टोला बजरहा जिला रीवा ने लोकायुक्त कार्यालय पहुंचकर आवेदन दिया था।
प्रवीण सिंह परिहार के मार्गदर्शन में कार्रवाई : पीड़ित का आरोप था कि हल्का दुआरी का पटवारी भू-खण्ड का नामान्तरण उपरान्त रिकार्ड में इन्ट्री (इस्तलाबी) के लिए रिश्वत की मांग की है। पटवारी 500 रुपये पहले ले चुका है। सत्यापन उपरांत शिकायत सही पाए जाने पर सोमवार को ट्रैपिंग के लिए डीएसपी प्रवीण सिंह परिहार के मार्गदर्शन में निरीक्षक जियाउल हक के नेतृत्व वाली 10 सदस्यीय टीम भेजी थी।
रुपये रखते ही लोकायुक्त ने पकड़ा : लोकायुक्त एसपी ने बताया कि आरोपित पटवारी बजरंग नगर (बरा) स्थित होंडा शोरूम के सामने रुपये के साथ पीड़ित को आने के लिए कहा था। जबकि पहले से ही लोकायुक्त की टीम सिविल कपड़े में खड़ी थी।
जैसे ही पीड़ित ने 1500 रुपये दिए और आरोपित पटवारी ने जेब में रुपये रखे।तभी इशारा समझते ही लोकायुक्त ने धरदबोचा है।फाड़ दिया था आवेदन पीड़ित अमित द्विवेदी का आरोप है कि उसने जमीन खरीदने के बाद लोकसेवा केन्द्र से सभी प्रक्रियाएं पूर्ण कर ली थी। सिर्फ रिकार्ड में इन्ट्री बची थी। जहां पहले आरोपित पटवारी 5 हजार रुपये की डिमांड कर रहा था। एक बार तो हमारा आवेदन तक फाड़ दिया था। जब 500 रुपये पाया तो फिर 1500 रुपये में तैयार हो गया।