उत्तरप्रदेश समाज

हर्षोल्लास से मना शब-ए-बारात पर्व। गुनाहों से निजात की रात है शब-ए-बरात— कारी निसार खान

शब-ए-बारात पर्व को लेकर सभी छोटी-बड़ी तैयारीयां हुई पूरी
कब्रागाहों में दुआखानी व फातेहाखानी को लेकर हुआ साफ-सफाई
शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक दरगाह व मस्जिदों को दुल्हन की तरह सजाया गया

जिला ब्यूरो चीफ योगेश गोविन्द राव कवीर मिशन समाचार पत्र कुशीनगर उत्तर प्रदेश।

कुशीनगर/ कुशीनगर हाटा (पतेया) मुस्लिम कैलेंडर के मुताबिक शाबान माह की 14 तारीख को शब-ए-बरात मनाई जाती है। शब-ए-बारात दो शब्दों, शब और बारात से मिलकर बना है, जहां शब का अर्थ रात से है वहीं बारात का मतलब बरी होना है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार यह रात साल में एक बार शाबान महीने की 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरू होती है। मुसलमानों के लिए यह रात बेहद फजीलत (महत्वपूर्ण) रात मानी जाती है, इस दिन विश्व के सारे मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं, वे दुआएं मांगते हैं और अपने गुनाहों की तौबा करते हैं।

मोहम्मद कारी निसार (मदरसा गुलशन इस्लाम पतेया ) ने बताया कि इबादत, तिलावत और सखावत (दान-पुण्य) के इस त्योहार पर मस्जिदों और कब्रिस्तानों में खास सजावट की जाती है। मस्जिदों व घरों पर विशेष रोशनी की जाती है। वहीं, बुजुर्गों व अजीजों की कब्रों पर चिरागा कर दुरूद और दुआओं के साथ इसाल-ए-सवाब पेश किया जाता है।

उन्होंने कहा कि इस रात मुस्लिमजन द्वारा अपने उन परिजनों के लिए जो दुनिया से रूखसत हो चुके हैं, उनकी मगफिरत की लिए दुआएं की जाती हैं। यह अरब में लैलतुल बराह या लैलतुन निसफे मीन शाबान के नाम से जाना जाता है। जबकि, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, अफगानिस्तान और नेपाल में यह शब-ए-बारात के नाम से जाना जाता है। शब ए बारात इस्लाम की 4 मुकद्दस रातों में से एक है। जिसमें पहली आशूरा की रात दूसरी शब-ए-मेराज, तीसरी शब-ए-बारात और चौथी शब-ए-कद्र होती है।

About The Author

Related posts