किसान द्वारा जिले के महामहिम प्रशासनिक अधिकारियों को लिखित में कई बार शिकायत करने पर भी नहीं हो रही सुनवाई
कुशल जैन, संवाददाता मालनपुर
मालनपुर / भिण्ड – औद्योगिक क्षेत्र मालनपुर में एस आर एफ कंपनी की दबँगई ने गरीब किसान को दर दर भटकने को मजबूर कर दिया है, यूँ तो प्रदेश के मुखिया गरीबों और किसानों के मसीहा माने जाते हैं लेकिन जब उन्हीं किसानों की सुनवाई न हो तो बेचारे कहाँ जायें और किसे सुनायें? जब किसी क्षेत्र में कोई फैक्ट्री या कंपनी की शुरुआत होती है तो लोगों को रोजगार की आस होती है पर जब कंपनी द्वारा गरीब किसानों की जमीन को ही हथियाने का प्रयास किया जाये और किसान द्वारा अपनी ही जमीन खाली कराने के लिए अधिकारियों से गुहार लगाने के बाद भी जमीन वापिस न मिले तो क्या करे? जी हां हम बात कर रहे हैं औद्योगिक क्षेत्र मालनपुर की जहाँ एस आर कंपनी पर एक किसान विष्णु गौड़ से उसकी 58 विस्वा जमीन पर कंपनी द्वारा कब्जा किये जाने का आरोप लगाते हुए जमीन वापिस दिलाये जाने के लिए जिला कलेक्टर को आवेदन दिया है।
किसान विष्णु गौड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि नगरीय क्षेत्र मालनपुर में उसके पिता जगदीश प्रसाद गौड़ के नाम खसरा क्रमांक 768 रकबा 58 विस्वा है जिसके ठीक बगल में एस०आर०एफ० लिमिटेड कम्पनी स्थित है, मेरे स्वामित्व की भूमि पर कुछ वर्ष पूर्व एस०आर०एफ० लिमिटेट कम्पनी द्वारा अतिकृमण करते हुये मेरी भूमि पर सौर ऊर्जा प्लेट लगा कर बाउंड्री कर अतिक्रमण कर लिया गया है।
जबरन मुझ गरीब किसान की भूमि पर लोकल नेताओं के साथ मिलकर जबरन कब्जा कर लिया है, राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा सीमांकन भी किया गया सीमांकन के आधार पर मेरी जमीन एस आर एफ लिमिटेड कंपनी की बाउंड्री के भीतर मेरी जमीन आ रही है जिस पर कंपनी का कब्जा है। जिसे खाली कराये जाने मैंने कई बार जिले के अधिकारियों से लिखित में गुहार लगाई है लेकिन आज तक मेरी जमीन को एस आर एफ कंपनी से मुक्त नहीं कराया गया है, जिस कारण मै और मेरा परिवार काफी तनाव में है। मैंने 19 जुलाई को दोबारा कलेक्टर को आवेदन देकर जमीन मुक्त कराये जाने की गुहार लगाई है।
-किसान ने किस किस विभाग में लगाई जमीन कब्जा मुक्त कराने की गुहार –
किसान विष्णु गौड़ ने बताया कि उसने नगर परिषद मालनपुर से लेकर मालनपुर थाना, कलेक्टर भिंड, एस डी एम गोहद, एस डी ओ पी गोहद, एम पी आई आई डी सी ग्वालियर, मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश और प्रधानमंत्री तक को पत्र के माध्यम से जमीन को कंपनी से कब्जा मुक्त कराये जाने की गुहार लगाई है।