तहसील कार्यालय के नोटिस में तहसीलदार ने लिखा हरिजन, क्या प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं मानते
कबीर मिशन समाचार राजकुमार 7089513598
राजगढ़- सारंगपुर | जहां जातिवादी लोगो द्वारा आये दिन अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग पर घृणा के साथ घटनाये सामने आ रही प्रशासन भी पीछे नहीं है। मामला सारंगपुर के ग्राम डिगवाड का है जहां बीते दिन दलित वर्ग कि बारात रोकी घोडी से उतारा और मारपीट भी कि गई। मामले मे कार्यवाही भी गई और भारतीय दंड संहिता अनुसार धाराओं मे मामला दर्ज किया गया। दिनांक 21 जनवरी को तहसील कार्यालय से नोटिस निकाला गया जिसमें पीड़ितो के नाम के आगे हरिजन शब्द का बार बार प्रयोग किया गया, जो कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिबंधित किया गया।
आपको बता दे कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हरिजन शब्द पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगा दिया है तथा इसकी जगह पर अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम कि धाराओं मे किस दर्ज करने का आदेश दिया।
तथा हरिजन शब्द का प्रयोग करने वालोंं पर भी केस दर्ज करने का प्रावधान किया गया। परंतु आज सारंगपुर तहसीलदार द्वारा हरिजन शब्द का प्रयोग किया गया। क्या प्रशासन के लिए सुप्रीम कोर्ट का आदेश मान्य नहीं होता? क्या सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गए आदेश का कोई मोल नहीं ? जब प्रशासन हि नहीं करेगी पालन तो आम नागरिक क्यूँ करेंगे। क्या क़ानून तहसीलदार पर कार्यवाही करेगा?
आखिर तहसीलदार ने ऐसा क्यूँ किया ?