कबीर मिशन समाचार
भोपाल मध्य प्रदेश
2 अप्रैल का आंदोलन
एससी एसटी एक्ट के लिए 2 अप्रैल 2018 को दलितों द्वारा एक बड़ा आंदोलन किया गया था। जिसमें भारत बंद का आह्वान किया गया था। इस आंदोलन में दलित समाज के 13 लोरग मारे गये थे और कई लोगों पर केस दर्ज किए गए थे और आज तक लोगों पर दर्ज हुए प्रकरण को वापस नहीं लिया गया है। उन दर्ज प्रकरणों को वापस लेने के लिए भी दलित समाज द्वारा कई बार सरकार को कहा गया। लेकिन उन लोगों की कोई सुध सरकार नहीं लेती है और उन लोगों को कानूनी प्रक्रिया में उलझाया जाता है। लेकिन मुख्यमंत्री को गाली देने वाली लोगों को स्वयं मुख्यमंत्री माफ कर दे ऐसा पहली बार देखने में आया है।
करणी सेना का आंदोलन
पिछले दिनों राजधानी भोपाल में करणी सेना के लगातार चार दिन से चल रहे आंदोलन को खत्म कर दिया गया। फिलहाल आंदोलन इसलिए खत्म कर दिया गया क्योंकि उनकी अधिकतर मांगो के लिए सरकार ने तीन अफसरों की एक कमेटी बनाई गई। इस आंदोलन को समर्थन देने वाले लोगों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को गाली दी थी। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था। जिसमें एक व्यक्ति पर प्रकरण दर्ज किया गया। लेकिन अब स्वयं मुख्यमंत्री खुद को गाली देने वाले लोगों को ट्वीट करते हुए माफ करने का संदेश दे रहे हैं। क्या एक प्रदेश के मुख्यमंत्री को गाली देना इतना आसान हो जाता है, कि मुख्यमंत्री स्वयं माफ कर देते हैं।
दलित समाज से मुख्यमंत्री शिवराज का भेदभाव
अब आप लोग निश्चित तौर पर समझ गए होंगे, कि एक तरफ मुख्यमंत्री को गाली दी जाती है। मुख्यमंत्री को गाली देने वाले वीडियो वायरल होते हैं इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ट्वीट करते हैं, लिखते हैं कि “पिछले दिनों एक आंदोलन के दौरान अभद्र भाषा का उपयोग किया गया था। मुख्यमंत्री की आलोचना का अधिकार है लेकिन जिस माँ का स्वर्गवास वर्षो पहले मेरे बचपन में ही हो गया था उनके लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल अंतरात्मा को व्यथित कर गया। इस मामले में क्षमा मांगी गई है, मैं भी अपनी माँ से प्रार्थना करता हूं कि वह जहां भी हो अपने इन बच्चों को क्षमा करें और मेरे मन में भी अब उनके लिए कोई गिला शिकवा नहीं है। आप सब अपने हैं और अपना भी कोई गलती कर दे तो उसको अपने से अलग नहीं किया जा सकता। मैं सबसे स्नेह करता हूं। सबके कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हूं और समाज के सभी वर्गों के विकास का काम किया है और आगे भी करता रहूंगा।”
लेकिन 2 अप्रैल के आंदोलन में दलितों पर दर्ज हुए केस वापस नहीं हुए हैं। दलित आदिवासियों पर हुए केस क्या कभी वापस लिए गए। क्या मुख्यमंत्री अगड़े पिछड़े में भेदभाव करते हैं। यहां पर एक बात समझने वाली है कि क्या मुख्यमंत्री को करणी सेना वालों से डर लगता है या दलित और आदिवासियों के प्रति दूसरी नीति अपनाई जाती है। क्या दलितों के माफी मांगने पर कभी माफ किया गया शायद नहीं और इसके विपरीत दलितों को सीधे जेल में डाल दिया जाता हैं। यदि मुख्यमंत्री को गाली देने वाले इन लोगों की जगह दूसरे कोई दलित व्यक्ति होता तो क्या मुख्यमंत्री माफ करते।जैसे स्वयं मुख्यमंत्री ही जज हो गये है कोई कानून नाम की चीज नहीं है।