मिट्टी में 90 प्रतिशत घटा नाइट्रोजन, जैविक कार्बन की कमी से पौधे कमजोर हो रहे
मध्यप्रदेश- खेती में अत्यधिक रासायनिक खाद और कीटनाशक के प्रयोग से मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा सबसे तेजी घट रही है। सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी की भी कमी हो रही है. मिट्टी जांच में पाया जाता है कि जमीन से नाइट्रोजन 90 प्रतिशत तक घट गया है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर मिट्टी में जैविक कार्बन नहीं बढ़ा तो जमीन बंजर हो जाएगी क्योंकि मिट्टी में नाइट्रोजन मोबाइल नेचर का होता है। इसके कारण यह मिट्टी में नहीं टिकता है। मिट्टी में नाइट्रोजन टिकने के लिए किसानों को जैविक खाद, ढेंचा के साथ दलहनी फसलों की खेती बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। किसानों के गेहूं, मसूर, चना, सरसों आदि फसलों में पीलापन आ रही हैं. मिट्टी के साथ पानी में आर्सेनिक की मात्रा खतरनाक स्तर पर आ गई है जैविक कार्बन मिट्टी में पाए जाने वाले छोटे-छोटे जीवाणुओं का भोजन होता है। मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता सही तरीके हो, इसके लिए जैविक कार्बन का होना बहुत जरूरी है।
जैविक कार्बन की कमी से मिट्टी में जलधारण की क्षमता कम हो जाती है। इससे मिट्टी में सिंचाई की जरूरत अधिक पड़ती है और हवा का संचार भी नहीं हो पाता है। इससे मिट्टी की जड़ों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। ऐसे में तेज हवा आते ही फसल टूटकर गिर जाती है। मसूर और चना का रकबा कम होता जा रहा है. कई किसानो ने चने की फसल लगाना बंद कर दिया और मसूर को तोड़ दिया है. कारण है की ये फासले खेत में सुख रही है. गेहू की फसल में इल्लियों का प्रकोप बड रहा है वही पीलेपन की समस्या आ रही है साथ ही 20 साल पहले की तुलना में 3 गुना पानी अधिक लग रहा हैं. पहले 3-4 बार पानी देने पर गेहू की फसल हो जाती थी. वही किसान भी इस समस्या का हल भी केमिकल दवाई में देख रहे है जबकि मिटटी में पोषक तत्वों की कमी इन्ही रासायनिक खाद व दवाइयों से हुई है.
किसानों को अब जल्दी ही जैविक खेती की ओर ध्यान देने की जरुरत है. यदि मिटटी को जल्दी ही ठीक नही किया तो खेत से फसल लेना भी मुस्किल हो जायेगा. यदि मिटटी स्वस्थ रहगी तो हर फसल स्वस्थ होगी और कम लागत में अच्छी पैदावार होगी. सल्फर के कमी के लक्षण: 1. सल्फर कि कमी से पौधो मे पत्तो का रंग पिला पडने लगता है । जो नये पत्ते पिले पड जाते है, उसके बाद ओ झड जाते है । 2. सल्फर कि कमी से पौधो का विकास रुक जाता है और पौधो मे जो हरापन होता है वह भी कम हो जाता है ।
फसलों का अपना जीवन चक्र पूरा करने के लिए 16 प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है । जिसमे से 3 प्रकार के पोषक तत्व प्राकृतिक रूप से प्राप्त होते है और 13 प्रकार के रासायनिक एवं अन्य खाद के के जरिये दीये जाते है ।
पोषक तत्वों का वर्गीकरण :
प्राकृतिक पोषक तत्व (Enviornmental Nutrients)
1) कार्बन (C)
2) हाइड्रोजन (H)
3) ऑक्सीजन (O)
मुख्य या प्राथमिक पोषक तत्व ( Major Nutrients)
4.)नाइट्रोजन (N)
5) फोस्फोरस (P)
6)पोटैशियम (K)
द्वितीय पोषक तत्व (Secondery Nutrients)
7)कैल्शियम (Ca)
8) मैग्नेशियम (Mg)
9) सल्फर (S)
सूक्ष्म पोषक तत्व (Micronutreints)
10)बोरोन (B)
11) कॉपर (Cu)
12)फेरस या आयरन (Fe)
13) मैंगनीज (Mn)
14) मोलिब्डेनम( Mo)
15) जिंक (Zn)
16) कोबाल्ट (Co)
मिट्टी में इन पोषक तत्वों की है कमी- नाइट्रोजन, जिंक, जैविक कार्बन, पोटाश, फास्फोरस, बोरान, सल्फर, मैगनीज, कैल्सियम, आयरन, कॉपर, माँलिब्डेनम