गोली का जवाब
गुलेल से दिया
अपने वीरता के बल पर
मनीराम अहिरवार जी ने
किला जीत लिया ।
मध्यप्रदेश की भूमि, नरसिंहपुर
गाडरवारा के चीचली गांव में
गोंडवाना
नरेश शंकर प्रताप सिंह जुदेव
के नगरी में
21 नवंबर 1915 को
रविदसिया वंशीय
हीरालाल अहिरवार के घर
मे जन्म लिया
मनीराम अहिरवार,पिता ने
उसका नाम दिया
उसकी वीरता को देख लोग
दांतो तले उंगली दबा लेते थे
ऐसा वीरता का उस वीर ने
कार्य किया
गोली का जवाब
गुलेल से दिया
साहसी निडर,वीर
निशानेबाजी में प्रवीर
गोंडवाना राजमहल चीचली
का रखवाला था
राजा के अनुपस्थिति में
अपने दम पर ही
राजमहल संभाला था।
किला हथियाने की अंग्रेज़ो
को भान हुआ
समझ अकेला मनीराम को
सैनिकों ने आक्रमण बोल दिया
गोली का जवाब
गुलेल से दिया
अचुक निशाना साधा उसने
गोलियों को गोटी से
पछाड़ा उसने
युद्ध मे उनके साथु
मंशाराम जटासी और
वीरांगना गौरादेवी शहादत
को प्राप्त हुए
गुलेल की गोटी के मार से
अंग्रेजी सैनिक हताहत होकर
भाग गये
साम दाम दण्ड भेद नीति से
मनीराम अहिरवार जी को
गिरफ़्तार किया
गोंडवाना के गुप्त रहस्य
जानने
मनीराम को घोर यातनाएं
दिया
सहकर पीड़ा,मुंह सील लिया
जान दे दी अपनी शहादत
को स्वीकार किया
नमन है ऐसे वीर की वीरता को
मरणोपरांत सम्मान मिले
ऐसे महान इंसान को
जन जन जाने कौन है वो
अमर शहीद मनीराम अहिरवार को।
शत् शत् नमन
श्रृद्धा सुमन
हरीश पांडल
विचार क्रांति
छत्तीसगढ़