जैविक खेती क्या है?
जैविक खेती पर्यावरण की शुद्धता को बनाए रखने में मदद करती है। जैविक खेती में रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है। इस प्रकार की खेती में जो तत्व प्रकृति में पाए जाते हैं, उन्हीं को खेती में इस्तेमाल किया जाता है। जैविक खेती में गोबर की खाद, कम्पोस्ट खाद, जीवाणु खाद, फसल अवशेष और प्रकृति में उपलब्ध खनिज जैसे रॉक फास्फेट, जिप्सम आदि द्वारा पौधों को पोषक तत्व दिए जाते हैं, तथा प्रकृति में उपलब्ध जीवाणुओं, मित्र कीट और जैविक कीटनाशकों द्वारा फ़सल को हानिकारक जीवाणुओं से बचाया जाता है।
वर्तमान समय में खेती करने की प्रणाली पूर्ण तरीके से बदल चुकी है, जिसका एकमात्र कारण है बढ़ती जनसंख्या। जिसकी वजह से अधिक खाद्यान्न उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है। जिसके कारण खेती में अधिक रासायनों का प्रयोग किया जा रहा है। जैविक खेती को लोग भूलते जा रहे हैं जिसके कारण हमें शुद्ध भोजन नहीं मिल पा रहा है। अत्यधिक रासायनों के प्रयोग से हमारा भोजन भी विषाक्त होता जा रहा है। जबकि जैविक खेती भारतीय कृषि की एक प्राचीन पद्धति है जो भूमि के प्राकृतिक गुणों को बनाए रखने के साथ हमें रसायनमुक्त शुद्ध भोजन प्रदान करती है।
जैविक खेती की आवश्यकता
पिछले कई वर्षों से खेती में काफी नुकसान देखने को मिल रहा है। इसका मुख्य कारण खेती में प्रयोग होने वाले रसायन, इसमें लागत भी बढ़ रही है और भूमि के प्राकृतिक स्वरूप में भी बदलाव हो रहे हैं जो काफी नुकसान भरे हो सकते हैं। रासायनिक खेती से प्रकृति में और मनुष्य के स्वास्थ्य में काफी गिरावट भी आई है। किसानों की पैदावार का अधिकतर भाग खेती में प्रयोग होने वाले उर्वरकों और कीटनाशकों पर ही खर्च हो जाता है। यदि किसान खेती में अधिक मुनाफा या फायदा कमाना चाहता है तो उसे जैविक खेती की तरफ अग्रसर होना चाहिए।
जैविक तरीके से उगाये गए अनाज में कई सारे खनिज तत्व उपस्थित होते है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होते हैं जबकि रासायनिक खाद और कीटनाशकों के उपयोग से ये खाद्य पदार्थ अपनी गुणवत्ता खो देते हैं। रासायनिक खाद और कीटनाशक के उपयोग से मिट्टी की उर्वरक क्षमता में काफी कमी आती है, जिससे मिट्टी के पोषक तत्वों का संतुलन भी बिगड़ जाता है। इस घटती हुई मिट्टी की उर्वरक क्षमता को देखते हुए आज के समय खेती में जैविक खाद का उपयोग जरूरी हो गया है।