मध्यप्रदेश राजनीति रोजगार सीहोर

ये कैसी आदर्श ग्राम पंचायत कजलास बीसूखेड़ी जिसमें 70 प्रतिशत मकान कच्चे और मूलभूत सुविधा भी उपलब्ध नहीं

कबीर मिशन समाचार जिला सीहोर।

कजलास से संजय सोलंकी की रिपोर्ट।

कजलास : आष्टा जनपद की ग्राम पंचायत का कजलास में आजादी का 76 वर्ष बाद भी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही है आपको बताते चलें कि ग्राम बीसुखेड़ी में 70परसेंट मकान आज भी कच्चे हैं चाहे सरकार कांग्रेस के रही हो या बीजेपी की या सरपंच चाहे कांग्रेस का रहा हो या बीजेपी का मगर आज तक ग्राम की हालत में कोई सुधार नहीं आया है ग्रामीणों की माने तो आज से 25 वर्ष से पहले गांव के बाहर शमशान बना हुआ था जो कि आज टूटकर पूरी तरह नष्ट हो गया है मगर न ही सरकार और नए अधिकारी और ना ही जनप्रतिनिधि गांव की तरफ ध्यान दे रहे हैं।

अब ऐसा लग रहा है कि सीहोर जिले का आखरी गांव होने का कारण ही गांव को लावारिस की तरह छोड़ दिया गया ग्रामीणों ने तो यहां तक कहां की पिछले त्रिस्तरीय चुनाव में सभी गांव वालों ने मिलकर चुनाव का बहिष्कार करने का मन बना लिया था मगर जैसे ही सीहोर कलेक्टर को इसकी सूचना मिली सीहोर कलेक्टर सीधे गांव में आए और गांव वालों को बताया कि आपकी मांग जल्दी ही पूरी की जाएगी मगर चुनाव होने के 1 वर्ष बाद भी अभी तक ना ही जनप्रतिनिधि यहां तक आए हैं और न ही अधिकारी गांव के मुख्य समस्या गांव में कच्चे मकान और दूसरी सबसे बड़ी समस्या गांव के बाहर शमशान का होना और उसके बीच में नाला होना जिसके कारण अगर बारिश में किसी की मृत्यु हो जाती है तो सब को जलाने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है।

वही तीसरी बड़ी समस्या है कि प्रधानमंत्री सड़क योजना से लेकर आंगनबाड़ी तक कच्चा रास्ता है जिसमें बारिश के समय छोटे-छोटे बच्चे आंगनबाड़ी तक जाने में परेशानी का सामना पड़ता हैं, मैं प्राथमिक स्कूल का आसपास गंदगी अंबार लगा हुआ है, गांव में आज से 15 साल पहले सीसी रोड का निर्माण हुआ था जो पूरी तरह से टूट चुका है जिसके कारण नालियों का पानी पूरे साल रोड पर ही जमा हो जाता है जिससे ग्रामीणों को निकालने में परेशानी का सामना करना पड़ता है और पानी जमा होने के कारण मच्छर पनपत नहीं जिसके कारण गांव में गंभीर बीमारी हो सकती है , गांव में सार्वजनिक शौचालय नहीं होने के कारण बाहरी राजगीरों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है

और जब बाहर से अधिकारी आते हैं तो निजी शौचालय पर सरकारी नाम लगाकर पंचायत द्वारा बताया जाता है कि यहां सार्वजनिक शासकीय शौचालय हैं। ग्रामीणों ने बताया कि हम पहले भी इन समस्याओं को लेकर तहसील और हमारे जनप्रतिनिधियों को उनके बारे में सूचित कर चुके हैं मगर जनप्रतिनिधि चुनाव के वक्त नहीं गांव में वोट के लिए आते हैं और चुनाव जीतने के बाद गांव का रुख नहीं करते ग्रामीणों ने बताया कि हमारी मांगे अगर नहीं मानी गई तो आने वाले विधानसभा चुनाव का और हम इस चुनाव को बहिष्कार करेंगे

About The Author

Related posts