लेखक = गोपीलाल भारतीय,(राष्ट्रीय सचिव – भारतीय दलित वर्ग संघ) ग्वालियर (म. प्र.)
देश की आजादी के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ किये गये, निर्णायक आन्दोलन का श्रेय कांग्रेस ने लेते हुए दलितों को कभी भी इस महाआंन्दोलन का महत्व क्या ज़िक्र तक नहीं करते हैं। आजादी की 75 वीं वर्षगांठ का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। लेकिन दलितों के महान नेताओं, क्रांतिकारियों की व सामाजिक महापुरुषों ने अपना खून बहाकर हमारे लिए आजादी दी गई।
लेकिन कांग्रेस का परहेज इस तरह हो गया कि “एक बीमार व्यक्ति का लाभ के लिए किसी दलित का खून तो ले लेता है। लेकिन यह बताने से शर्म आ रही है कि एक दलित के खून से जान तो बचा ली है।” यही हाल देश की आजादी में आन्दोलन के इतिहास को कांग्रेस द्रारा न बताने और श्रेय न देने का है।
भारत की आजादी में दलित समाज के नेता और क्रांतिकारियों ने कांग्रेस के साथ उन दिनों देश में महात्मा गांधी के साथ दलितों के उध्दारक, राष्ट्रनिर्माता बाबू जगजीवन राम जी के माध्यम से (1)गुरु रविदास महासभा (2)भारतीय दलित वर्ग संघ (3)खेतिहर मजदूर संघ (4)हरिजन सेवक संघ के देश भर में हजारों – हजारों कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के साथ मिलकर देश की आजादी हासिल करने के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ निर्णायक आन्दोलन किया।
चमार रेजिमेंट के तथा अनेक सेनानियों ने आज़ादी के लिए अपना खून बहा दिया जिन्हें कांग्रेस ने सम्मान एवं शहीद का दर्जा न देकर दलितों के क्रांतिकारियों के साथ नाइंसाफी की है।
मध्यप्रदेश के एकमात्र अनुसूचित रविदास वंशीय अमर क्रांतिकारी वीर सपूत मनीराम अहिरवार जी जो कि महात्मा गांधी और बाबू जगजीवन राम जी के आन्दोलन से प्रेरणा लेकर जिला नरसिंहपुर के चीचली गांव में ब्रिटिश फौज से युद्ध लड़कर उन्हें परास्त कर गांव से खदेड़ दिया था ।
वीर मनीराम अहिरवार के शौर्य के कारण गोंडवाना राजमहल को अंग्रेजी सेना से कब्जा न होने से बचाया। देश प्रेम व स्वाभिमान सहित गुलामी प्रथा का विरोध करने पर उन्हें मौत दे दी। उन्होंने मात्रृभूमी के खातिर शहादत देकर दलित समुदाय का गौरव बढ़ाया।
स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ दलितों के संगठनों के नेताओं ने कांग्रेस के प्रत्येक आन्दोलनों में सहयोग कर आजादी हासिल करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। चमार रेजिमेंट के हजारों सैनिकों ने कुर्बानी दी। देश में उस समय जातिगत भेदभाव चरम पर था। जिस अमानवीय क्रृत के विरोध में एक ओर देश के महान दलित नेता बाबू जगजीवन जी गैरबराबरी के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। दलितों के साथ हो रहे भीषण अन्याय के खिलाफ और देश आजादी के लिए भी निरंतर काम कर रहे थे। उनके लिए हर प्रकार की चुनौतियों का सामना करना। एक तरफ देश को आजाद कराने के लिए और दूसरी तरफ दलितों के हक अधिकार के लिए वह दोनों संघर्ष में सफल रहे। उनके इस योगदान पर
राष्ट्रकवि श्री मैथिलीशरण गुप्त
जी ने अपनी कविता में लिखा है – “तुल न सके धन, धरती धन्य तुम्हारा नाम”।।
लेकर तुमसा लक्ष्य ललाम सफल काम जगजीवन राम।।”
देश की आजादी में बाबू जी ने
कांग्रेस के बेनर तले और गांधी जी के आन्दोलन में हजारों लोग ने प्राणों की आहुति दी है। अनेकों दलितों ने बेकसूर यातनाएं झेली, जेल वर्षों तक रहे। वीर मनीराम अहिरवार जैसों को तो जेल में ही दफना दिया। परिवार उजड़ गये, अर्थात आजादी में दलितों के योगदान की महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। मात्रृभूमी की लाज बचाने खून की नदियाँ बहा दी। लेकिन कांग्रेस ने आज तक अपनी सभी, सम्मेलन, बैठकों, चुनावी सभा, प्रचार प्रसार सामग्री, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस जैसे मौकों पर दलितों के नेताओं और क्रांतिकारियों का उल्लेख न करना सरासर अन्यायपूर्ण है।
दलितों के आजादी के दीवाने और बलिदान हुए लोगों को कांग्रेस की ही जिम्मेदारी बनती थी कि वह दलितों के नेताओं, सम्मान करती और उनके परिवार जनों, उत्तराधिकारी को सम्मानित करने का भी कार्य करती। खेद है कि दलितों के महान नेता आजादी के प्रेरणा स्रोत महात्मा गांधी जी, जवाहर लाल नेहरू और देश के सभी बड़े नेताओं में खासे बाबू जगजीवन राम जो कि अनेक संगठनों के साथ अपने कार्यकताओं को लेकर कांग्रेस के साथ भारत छोड़ो आन्दोलन में हिस्सा लेकर कांग्रेस के साथ ही काम करते रहे। कांग्रेस ने आजादी का स्वयं श्रेय लेकर देश की सबसे बड़ी कौम रविदास वंशीय समाज के नेताओं, सेनानियों की अनदेखी की गई है। बहरहाल कांग्रेस की ही उपेक्षा सिद्ध होती है। आज देश भर में दलित समुदाय में आवाज उठ रही है कि हमारे महापुरुष को राष्ट्रीय स्तर पर शहीद और सेनानियों का दर्जा नहीं दिया। जबकि आजादी हासिल करने का कांग्रेस ने स्वयं श्रेय लेकर पक्षपात किया है। परिणामस्वरूप देश के दलितों में खासी नाराजगी और गंभीरता से विचार विमर्श हो रहा है कि हमारे महापुरुष के सम्मान हेतु एक बड़ा आन्दोलन हो।