कबीर मिशन समाचार
विजय सिंह बोड़ाना
उज्जैन मध्यप्रदेश
इस बार की सोयाबीन की फसल खेतों में शान से लहलहा रही थी। किसान साहस एवं उम्मीद से भरे हुए थे। एक तरह से चारों तरफ खुशी छाई हुई थी। लेकिन वर्षा के अभाव में सोयाबीन की फसल अर्थात पीला सोना खेतों में ही खड़े-खड़े समय से पूर्व सुख गया। अब किसानों में मायूसी छाई हुई है। दिन रात एक ही उम्मीद में है, कि कब बारिश होगी जिससे काली रातों का कुछ अंधेरा दूर हो जाए। जिससे कम से कम लागत तो निकलेगी। फ़सल कटाई से लगभग एक माह पूर्व फ़सल का सुख जाना निश्चित ही किसान, देश, प्रदेश एवं अर्थव्यवस्था के काफ़ी नुकसानदायक है। इस आर्थिक नुकसान से किसानों को बचाने के लिए निश्चित ही सरकार को तुरंत कार्यवाही करते हुए जमीनी स्तर पर निरीक्षण करवाकर किसानों की मदद करना चाहिए।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है, कि एक महीने से पानी नहीं गिरा है। किसान संकट में है, हम भरसक प्रयास करेंगे। किसान भाइयों चिंता मत करना, वैसे तो भगवान की कृपा बरसेगी, पानी आएगा। लेकिन यदि संकट आया भी तो मैं आपको कह रहा हूं चिंता मत करना। मोदी जी के आशीर्वाद से इस संकट से पार निकाल दिए जाओगे। चिंता मत करना जो परिस्थिति होगी उससे निपटेंगे। क्योंकि हमारा संकल्प आपकी सेवा का संकल्प है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक्स ( पूर्व में ट्विटर ) पर लिखा है, कि प्रदेश में इस बार भीषण सूखे की स्थिति बन रही है। प्रदेश के अधिकांश हिस्से में कम वर्षा हुई है। जलाशयों में पानी पूरी तरह से नहीं भर पाया है। फसलें सूख रही हैं। प्रदेश की अधिकांश किसान आबादी इससे सीधी प्रभावित हो रही है। मैं मुख्यमंत्री से मांग करता हूं कि वह उत्सव मोड से बाहर आएं और तत्काल सर्वे कार्य शुरू कर किसानों को राहत देने की व्यवस्था शुरू करें।
कल मुख्यमंत्री का जो बयान सामने आया, वह चुनौती का सामना करने से अधिक आपदा को अवसर में बदलने की चालबाजी जैसा प्रतीत हुआ। प्रदेश की जनता ने पूर्व में भी देखा है कि शिवराज सरकार आपदा को अपने हित में अवसर में बदल लेती है और जनता के लिए संत्रास पैदा करती है। जनता को झूठे वादों की नहीं, सच्चे इरादों की जरूरत है।