भोपाल। डाटा जर्नलिज्म में पहली चुनौती है कि सोर्स क्या है? डाटा कहाँ से लाएं? इसका समाधान है– डिजिटल रिसोर्स और सबसे आसान तरीका है गूगल। लेकिन गूगल बाबा के दरबार में अर्जी कैसे लगाई जाए? प्रार्थना सही नहीं होगी तो उत्तर भी सही नहीं मिल पाएगा।
गूगल पावर टिप्स, सही सवाल पूछना यह बस एक छोटा सा भाग है डाटा जर्नलिज्म का। यह बात डॉ. उमा शंकर पांडे ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय डाटा जर्नलिज्म कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में कही। एमसीयू में विद्यार्थियों को डेटा जर्नलिज्म के प्रशिक्षण हेतु तीन दिवसीय डेटा जर्नलिज्म कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
जून-जुलाई में भी ऐसे सत्रों का आयोजन किया जाएगा : कुलपति प्रो. केजी सुरेश
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि इंडस्ट्री और एकेडमिक्स कहीं ना कहीं संपर्क सूत्र में नहीं रह पाते हैं। विद्यार्थी फील्ड के लिए तैयार हो इसलिए विश्वविद्यालय द्वारा स्क्रिप्ट राइटिंग से लेकर विभिन्न विषयों पर लगातार प्रायोगिक सत्रों का आयोजन किया जा रहा है। जून-जुलाई में भी ऐसे सत्रों का आयोजन किया जाएगा ताकि विद्यार्थी इंडस्ट्री में जाकर काम कर सकें।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के अध्यक्ष, संकाय सदस्य, तकनीकी स्टाफ एवं विद्यार्थी मौजूद रहे। ऑनलाइन माध्यम से रीवा, दतिया एवं खंडवा परिसर के प्रभारी, संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी जुड़े। उक्त कार्यशाला का आयोजन नवीन मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा किया जा रहा है।
कार्यक्रम की रूपरेखा कार्यशाला संयोजक एवं विश्वविद्यालय की डीन अकैडमिक प्रो. डॉ. पी. शशिकला ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन विभाग की छात्राओं रितिका, मानसी तिवारी एवं कीर्ति खंडेलवाल ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सहायक प्राध्यापक श्री मनोज कुमार धुर्वे ने किया।