प्रदीप कुमार नायक
स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार
भारत की बड़ी सफलता से जुड़ी इस वक्त की बड़ी खबर आ रही है। चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग हो गयी है। इसरो ने चंद्रमा में इतिहास रच दिया है। पीएम मोदी ने कहा कि आज हम अंतरिंक्ष में नए भारत के नए उड़ान के साक्षी बने हैं। ये पल नये भारत के बढ़ते कदम हैं। चांद के दक्षिणी ध्रूव पर चंद्रयान-3 ने लैंडिंग किया है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने वाला दुनियां का पहला देश भारत बन गया है। पीएम मोदी ने कहा कि चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग के लिए देश के 140 करोड़ देशवासियों को कोटि-कोटि बधाई देता हूं और इस काम में कड़ी मेहनत से लगे हमारे वैज्ञानिकों को भी मैं हार्दिक बधाई देता हूं। ये पल अविश्वसनीय और अभूतपूर्व है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये पल विकसित भारत के शंखनाद का है। रूस और चीन जो काम नहीं कर पाये वो काम भारत ने करके दिखाया है।
चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग से देशभर में जश्न का माहौल है। आज के इस दिन को देश हमेशा के लिए याद रखेगा। यह दिन उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा। ये दिन इस बात का प्रतिक है कि हार से सबक लेकर जीत कैसे हासिल की जाती है। देश के सभी वैज्ञानिकों को बहुत बहुत बधाई। और भविष्य के मिशन के लिए ढेरों शुभकामनाएँ। इसरो का चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल सफलतापूर्वक चांद पर उतर गया। इसरो के मुताबिक, लैंडर ने तय समय 6.04 बजे चांद पर लैंड करने में सफलता पायी है। इस दौरान इसरो ने बेंगलुरु में मिशन के कंट्रोल कॉम्पलेक्स से लैंडिंग की पूरी प्रक्रिया का लाइव टेलीकास्ट किया। इस ऐतिहासिक मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े। उन्होंने इसरो के वैज्ञानिकों और देशवासियों को चंद्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिंग पर बधाई दी। 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए पीएम मोदी दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में हैं।
वहां से उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इसरो के वैज्ञानिकों और देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह पल भारत के उदयमान भाग्य के आह्वान का है। यह अमृतकाल के वर्ष में अमृत की वर्षा का है। हमने धरती पर जो संकल्प लिया उसे चंद्रमा पर करके दिखाया है। यह काम हमारे देश के वैज्ञानिकों ने कर दिखाया है। पीएम मोदी ने कहा कि हम आज मून पर पहुंच गये हैं। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि अभी हम दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने के लिए आए हैं लेकिन मेरा मन चंद्रयान 3 पर ही केंद्रित था। देश के तीसरे चंद्रमा मिशन चंद्रयान-3 के चंद्रमा में सफलतापूर्वक उतरने से देश में खुशी का माहौल है। जहां आज तक दुनियां का कोई भी देश नहीं पहुंच सकगा वहां भारत पहुंच गया है। भारत में लोग धरती को मां और चांद को मामा कहते हैं। कभी कहा जाता था कि चंदा मामा दूर के..लेकिन अब बच्चे कहेंगे चंदा मामा बस एक टूर के हैं।
चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा।
चंद्रयान -3 ने चांद की सतह पर सफल लैंडिंग कर ली हैl यह सफलता हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन चुका है. 140 करोड़ लोगों की प्रार्थना और इसरो के साढ़े 16 हजार वैज्ञानिकों की चार साल की मेहनत रंग ले आयी l अब पूरी दुनिया ही नहीं चांद भी भारत की मुठ्ठी में हैl इसरो के महान वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चांद तक पहुंचाकर इतिहास रचा है। इसके पीछे वैज्ञानिकों का समर्पण अहम है। बालाघाट में पले-बढ़े प्रमोद सोनी ने चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग में नेविगेटर यानी मार्गदर्शक की भूमिका निभाई है। प्रमोद ने अपनी 12वीं तक की शिक्षा बालाघाट के कटंगी तहसील से पूरी की थी। उनके पिता नीलकंठ सोनी पीडब्ल्यूडी विभाग से एसडीओ के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद उनका परिवार सिवनी में बस गया।
चंद्रयान-3 की सफलता में प्रमोद और उनकी लाइट डायनामिक टीम की अहम भूमिका रही है।चर्चा में प्रमोद ने बताया कि वह इसरो में डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर के पद पर हैं। उनकी टीम का काम चंद्रयान-3 की दिशा के बारे में जानकारी देना था। चंद्रयान सही दिशा में आगे बढ़ रहा या नहीं, अलग-अलग कक्षाओं में उसकी स्थिति और आगे बढ़ने की दिशा की रिपोर्टिंग उन्होंने व उनकी टीम ने की है। प्रमोद ने बताया कि चंद्रयान के बुधवार को सफल लैंड करने के बाद लाइट डायनामिक टीम का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।
पुरानी गलतियों से सबक सीखा, इसलिए मिली सफलता
चंद्रयान की सफलता को लेकर प्रमोद ने बताया कि इसरो के सभी वैज्ञानिकों की टीम पिछले दस सालों से इस मिशन में जुटी थी, जिसे आज सफलता मिली है। इस खुशी को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। सफल लैंडिंग होते ही इसरो में जश्न जैसा माहौल है। लाेगों ने एक-दूसरे को गले लगकर बधाई दी। इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने कई वैज्ञानिक भावुक भी हो गए। प्रमोद ने बताया कि पिछले मिशन के असफल होने के कारणों का अध्ययन किया गया और उससे सबक लेकर गलतियों को सुधारा गया था, इसलिए हमें ये सफलता मिली है।खास बात है कि चंद्रयान के लान्च से लेकर लैंड तक इस मिशन में किसी तरह की कोई अड़चन नहीं आई। ये सभी वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत का नतीजा है। प्रमोद ने बताया कि चंद्रयान के लैंड करने के बाद रोवर 14 दिनों तक चांद की सतह पर रहेगा।
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